प्रथम मासिक परीक्षा का परिचय और उद्देश्य गत्रों के वाचन को शुद्ध, स्पष्ट प्रवाह एवं भावपूर्ण बनाने के साथ अवसरानुरूप स्वर के दरहै। वक्तृकला की यह निपुणता शब्दों के अर्थ की सूक्ष्मता और उनके उपयुक्त प्रयोग के ज के परीक्षण हेतु वाद-विवाद प्रतियोगिता, विचारों की अभिव्यक्ति : भाषण, शब्द-ज्ञान एवं 1. वाचन शैली : वाद-विवाद प्रतियोगिता शय-वाद-विवाद प्रतियोगिता में किसी विषय विशेष पर सभी प्रतिभागियों को अपने तर्क था विपक्ष। किसी भी प्रतिभागी को अपनी विचाराभिव्यक्ति के लिए इन दोनों पक्षों में से कि भागी को विषय के सभी पहलुओं की उपयोगिता, प्रासंगिकता, व्यावहारिकता और व्याप चार केवल कल्पना पर आधारित नहीं होते वरन् वास्तविकता के धरातल पर अकाट्य तभागी को विषय के सभी पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए विषय का छिद्रान्वेषण करना ता, अव्यावहारिकता और संकीर्णता आदि को तर्कों तथा प्रमाणों से स्पष्ट करते हुए वि जो भी प्रतिभागी अपने तर्क और प्रमाणपुष्ट विचारों से प्रतियोगिता के निर्णायकमण प्रतियोगिता में प्राय: दोनों ही पक्षों से अलग-अलग प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय प्रतिभ न रखने योग्य बातें न रखने योग्य कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं- सब प्रकार से शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए। सम्बन्धित विषय ही होना चाहिए। विषय का भटकाव अच्छे वक्ता को भी प्रतिय ल्पित नहीं होने चाहिए। विपक्ष में कही गई सभी बातें तर्क और प्रमाणों से पुष्ट होनी चाहिए। न की अच्छाइयों, गुणों, उसकी उपयोगिता, प्रासंगिकता, व्यावहारिकता और व्या । विषय की कमियों, दोषों, उसकी अनुपयोगिता, अप्रासंगिकता, अव्यावहारिक
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