Hindi, asked by jugnaverma, 7 months ago

(२) प्रथम पाँच पंक्तियों का भावार्थ लिखिए। poem kitabe ​

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Answered by meghana1308
19

Hlo mate here is ur ans....

प्रथम पाँच पंक्तियों का भावार्थ :-

१.

१.घना अँधेरा,

१.घना अँधेरा,चमकता प्रकाश,

१.घना अँधेरा,चमकता प्रकाश, और अधिक।

१.घना अँधेरा,चमकता प्रकाश, और अधिक। जिस तरह शाम ढलते ही निशा अँधेरे से घिर जाती है और अंधकार का अधिराज्य निर्माण होता है। ऐसे वक्त कभी-कभी एखाद दीप या जुगनू चमककर अँधेरे को छेद देने की कोशिश करता है तब वह अंधकार में सामान्य से और भी अधिक चमकता है। उसी प्रकार हर मनुष्य के जीवन में अनगिनत अंधकार (विपत्तियाँ) होता है, परंतु जो मनुष्य इस अधंकार को छेद देने की ताकद रखता है वह मनुष्य प्राणी जीवन के अंधकार में भी और चमकेगा तथा श्रेष्ठत्व प्राप्त करेगा। बस उसमें निडरता और हौसला चाहिए।

२.

२.करते जाओ,

२.करते जाओ,पाने की मत सोचो,

२.करते जाओ,पाने की मत सोचो, जीवन सारा।

२.करते जाओ,पाने की मत सोचो, जीवन सारा। संस्कृत के 'कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनं' इस सुवचन के अनुसार ही परिहार जी ने जीवन का सही सार बताने की कोशिश की है। हमें अपने जीवन में कर्मरत रहकर क्रिया-कलाप करते रहना चाहिए। फल कभी-न-कभी मिल ही जाएगा। यदि फल के बारे में सोचते रहे तो कर्म और जीवन का आनंद गवाँ बैठेंगे। तो बस काम करते जाओ, फल तो अपने - आप मिल जाएगा। किसी ने सही कहा है - 'काम करेंगे-काम करेंगे, जग में हम कुछ नाम करेंगे।

३.

३.जीवन नैया,

३.जीवन नैया,मँझधार में डोले,

३.जीवन नैया,मँझधार में डोले,संभाले कौन।

३.जीवन नैया,मँझधार में डोले,संभाले कौन। माना कि यह दुनिया असीम समुंदर है तो हर मनुष्य प्राणी का जीवन उस समुंदर में चल पड़ी नैया (नाव) है। जब अपना जीवन-यापन करते हैं तो संसार में अनगिनत बाधाएँ समुंदर के तूफान की भाँति आएगी और कमजोर नाव को जिस तरह निगल जाता है उसी तरह तुम्हारे जीवन को भी निगल जाएगा। अर्थात मनुष्य का जीवन समाप्त होगा। अब हर एक को समझना चाहिए कि दुनिया में अपने जीवन की बागडौर खुद को ही संभालनी होगी। अपनी जिंदगी में कितने ही तूफान क्यों न आए, अपनी नैया किनारे (मोक्ष अथवा सफलता के) पार लगानी ही होगी। यहाँ कोई आपकी मदद करनेवाला नहीं होगा ? हाइकुकार ने वही सवाल पूछा है - तुम्हारी जीवन नैया कौन संभालेगा ?

४.

४.रंग-बिरंगे,

४.रंग-बिरंगे,रंग-संग लेकर,

४.रंग-बिरंगे,रंग-संग लेकर,आया फागुन।

४.रंग-बिरंगे,रंग-संग लेकर,आया फागुन। इस हाइकु में प्रकृति के बदलाव का वर्णन करते हुए फागुन माह के दिन कुदरत में बिखरे रंगों की ओर निर्देशित करते हुए फागुन माह का विशेष महत्त्व, फूलों को लेकर प्रतिपादित किया है। (टिपण्णी-अध्यापक विस्तारित रूप से फागुन की जानकारी से छात्रों को अवगत कराए। )

५.

५.काँटों के बीच,

५.काँटों के बीच,खिलखिलाता फूल,

५.काँटों के बीच,खिलखिलाता फूल,देता प्रेरणा।

५.काँटों के बीच,खिलखिलाता फूल,देता प्रेरणा। प्रस्तुत हाइकु में जीवन में संघर्ष एवं समस्याओं का महत्त्व प्रतिपादित करते हैं । जैसे गुलाब का फूल काँटों में भी रहकर खिलता है तो अधिक सुंदर तो लगता है साथ ही अपनी सुगंध चारों ओर फैलाता भी है। इसी तरह को मनुष्य को अपने जीवन में आयीं बाधाओं (काटों) को सहजता से स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए। तभी हम अपने जीवन को सुंदर और कार्य से सुगंधित कर सकते है, जो आगे जाकर किसी के लिए प्रेरणादायी बन जाएगा। जैसे - 'रुकनेवाला पानी सड़ता, रुकनेवाला पहिया डाटा, रुकनेवाली कलम न चलती और विशेष बात-रुकनेवाली घड़ी न चलती।' समस्याओं को पहचानकर सामना करें।...

❤️❤️Hope this helps u dear ❤️❤️

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Answered by senapatid789
9

Answer:

*प्रस्तुत कविता में गुलजार ने किताबों के कम हो रहे चलन के बारे में बताया है। उनके अनुसार किताबें अब सिर्फ अलमारी में बंद रहती हैं और उससे बाहर निकलने की हसरत लिए वे अलमारी के शीशे से ताकती रहती हैं। महीने बीत जाते हैं, लेकिन किताबों से मुलाकात नहीं होती है।*

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