प्रथम तीन धर्म युद्ध की जानकारी दीजिए तथा उनके प्रभाव की व्याख्या kijiye
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यूरोप के ईसाइयों ने 1095 और 1291 के बीच अपने धर्म की पवित्र भूमि फिलिस्तीन और उसकी राजधानी जेरूसलम में स्थित ईसा की समाधि का गिरजाघर मुसलमानों से छीनने और अपने अधिकार में करने के प्रयास में जो युद्ध किए उनको सलीबी युद्ध, ईसाई धर्मयुद्ध, क्रूसेड (crusades) अथवा क्रूश युद्ध कहा जाता है।
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मानव समाज युद्ध करते हुए अब इस मोड़ पर आकर खड़ा हो गए है कि यदि अब इससे आगे जाता है तो निश्चित ही उसका अस्तित्व मिटने वाला है। निश्चि ही युद्ध से जीवन का विकास हुआ है लेकिन अब यही युद्ध जीवन का नाश करने वाला सिद्ध हो रहा है। परमाणु बमों के ढेर पर बैठा मानव खुद के ही नहीं इस धरती के वजूद को भी मिटाने के लिए तैयार है। यदि आप धर्म के नाम पर प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से यह लड़ाई जारी रखते हैं तो आप सभी को सामूहिक रूप से मरने के लिए तैयार रहना चाहिए। आप इसके लिए बौद्धिक लोगों की जमात की तरह इसे सांस्कृतिक युद्ध या बाजारवाद के लिए युद्ध कह सकते हैं। इसे आप पूंजीवाद और साम्यवाद की लड़ाई भी कह सकते हैं, लेकिन मूल में मजहब ही है।