प्रथम विश्व युद्ध के कारण त्था प्रभाव क्या है
Answers
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18)
- प्रस्तावना :-
प्रथम विश्वयुद्ध, विश्व स्तर पर लड़ा जाने वाला प्रथम प्रलयंकारी युद्ध था. इसमें विश्व के लगभग सभी प्रभावशाली राष्ट्रों ने भाग लिया. यह युद्ध मित्र राष्ट्रों (इंग्लैंड, फ्रांस, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, रूमानिया तथा उनके सहयोगी राष्ट्रों) और केंद्रीय शक्तियों (जर्मनी, ऑस्ट्रिया – हंगरी, तुर्की, बुल्गारिया इत्यादि) के बीच हुआ. प्रथम विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों की विजय और केंद्रीय शक्तियों की पराजय हुई.
- प्रथम विश्व युद्ध के कारण:-
प्रथम विश्वयुद्ध के लिए अनेक कारण उत्तरदायी थे | इनमे निम्न्न्लिखित महत्वपूर्ण हैं:-
युरोपीय शक्ति – संतुलन का बिगड़ना-
1871 में जर्मनी के एकीकरण के पूर्व युरोपीय राजनीती में जर्मनी की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं थी, परन्तु बिस्मार्क के नेतृत्व में एक शक्तिशाली जर्मन राष्ट्र का उदय हुआ. इससे युरोपीय शक्ति – संतुलन गड़बड़ा गया. इंग्लैंड और फ्रांस के लिए जर्मनी एक चुनौती बन गया. इससे युरोपीय राष्ट्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ी.
- गुप्त संधिया एवं गुटों का निर्माण-
जर्मनी के एकीकरण के पश्चात वहां के चांसलर बिस्मार्क ने अपने देश को युरोपीय राजनीती में प्रभावशाली बनाने के लिए तथा फ्रांस को यूरोप की राजनीती में मित्रविहीन बनाए रखने के लिए गुप्त संधियों की नीतियाँ अपनायीं. उसने ऑस्ट्रिया- हंगरी (1879) के साथ द्वैत संधि (Dual Alliance) की. रूस (1881 और 1887) के साथ भी मैत्री संधि की गयी. इंग्लैंड के साथ भी बिस्मार्क ने मैत्रीवत सम्बन्ध बनाये. 1882 में उसने इटली और ऑस्ट्रिया के साथ मैत्री संधि की. फलस्वरूप , यूरोप में एक नए गुट का निर्माण हुआ जिसे त्रिगुट संधि (Triple Alliance) कहा जाता है. इसमें जर्मनी , ऑस्ट्रिया- हंगरी एवं इटली सम्मिलित थे. इंगलैंड और फ्रांस इस गुट से अलग रहे
- जर्मनी और फ्रांस की शत्रुता-
जर्मनी एवं फ्रांस के मध्य पुरानी दुश्मनी थी. जर्मनी के एकीकरण के दौरान बिस्मार्क ने फ्रांस के धनी प्रदेश अल्सेस- लौरेन पर अधिकार कर लिया था. मोरक्को में भी फ़्रांसिसी हितो को क्षति पहुचाई गयी थी. इसलीये फ्रांस का जनमत जर्मनी के विरुद्ध था. फ्रांस सदैव जर्मनी को नीचा दिखलाने के प्रयास में लगा रहता था. दूसरी ओर जर्मनी भी फ्रांस को शक्तिहीन बनाये रखना चाहता था. इसलिए जर्मनी ने फ्रांस को मित्रविहीन बनाये रखने के लिए त्रिगुट समझौते किया| बदले में फ्रांस ने भी जर्मनी के विरुद्ध अपने सहयोगी राष्ट्रों का गुट बना लिया. प्रथम विश्वयुद्ध के समय तक जर्मनी और फ्रांस की शत्रुता इतनी बढ़ गयी की इसने युद्ध को अवश्यम्भावी बना दिया.
प्रथम विश्वयुद्ध के लिए अनेक कारण उत्तरदायी थे | इनमे निम्न्न्लिखित
महत्वपूर्ण हैं:-
युरोपीय शक्ति – संतुलन का बिगड़ना-
1871 में जर्मनी के एकीकरण के पूर्व युरोपीय राजनीती में जर्मनी की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं थी, परन्तु बिस्मार्क के नेतृत्व में एक शक्तिशाली जर्मन राष्ट्र का उदय हुआ. इससे युरोपीय शक्ति – संतुलन गड़बड़ा गया. इंग्लैंड और फ्रांस के लिए जर्मनी एक चुनौती बन गया. इससे युरोपीय राष्ट्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ी.
गुप्त संधिया एवं गुटों का निर्माण-
जर्मनी के एकीकरण के पश्चात वहां के चांसलर बिस्मार्क ने अपने देश को युरोपीय राजनीती में प्रभावशाली बनाने के लिए तथा फ्रांस को यूरोप की राजनीती में मित्रविहीन बनाए रखने के लिए गुप्त संधियों की नीतियाँ अपनायीं. उसने ऑस्ट्रिया- हंगरी (1879) के साथ द्वैत संधि (Dual Alliance) की. रूस (1881 और 1887) के साथ भी मैत्री संधि की गयी. इंग्लैंड के साथ भी बिस्मार्क ने मैत्रीवत सम्बन्ध बनाये. 1882 में उसने इटली और ऑस्ट्रिया के साथ मैत्री संधि की. फलस्वरूप , यूरोप में एक नए गुट का निर्माण हुआ जिसे त्रिगुट संधि (Triple Alliance) कहा जाता है.
जर्मनी और फ्रांस की शत्रुता-
जर्मनी एवं फ्रांस के मध्य पुरानी दुश्मनी थी. जर्मनी के एकीकरण के दौरान बिस्मार्क ने फ्रांस के धनी प्रदेश अल्सेस- लौरेन पर अधिकार कर लिया था. मोरक्को में भी फ़्रांसिसी हितो को क्षति पहुचाई गयी थी. इसलिए फ्रांस का जनमत जर्मनी के विरुद्ध था. फ्रांस सदैव जर्मनी को नीचा दिखलाने के प्रयास में लगा रहता था. दूसरी ओर जर्मनी भी फ्रांस को शक्तिहीन बनाये रखना चाहता था. इसलिए जर्मनी ने फ्रांस को मित्रविहीन बनाये रखने के लिए त्रिगुट समझौते किया|
प्रभाव -:
प्रथम विश्वयुद्ध एक प्रलयंकारी युद्ध था. इसमें लाखों व्यक्ति मारे गए. अरबों की संपत्ति नष्ट हुई. इसका सामाजिक आर्थिक व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा.