प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका क्यों शामिल हुआ
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अमेरिका पहले विश्व युद्ध में 6 अप्रैल 1917 को शामिल हुआ, लेकिन युद्ध का रास्ता दो महीने पहले तय हो चुका था। तब जर्मन सरकार ने ब्रिटिश द्वीपों के चारों ओर तटीय जल पर गैर-प्रतिबंधित पनडुब्बी हमलों की युद्ध नीति को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया था। दूसरे शब्दों में कहें तो वो समुद्रमार्ग से गुजरने वाले हर जहाज पर हमला करने की नीति पर लौट आने वाले थे जिसमें अमेरिकी जहाज भी शामिल थे।
तटस्थ रहने की अमेरिकी नीति
अमेरिका के राष्ट्रपति वूड्रो विल्सन विपक्ष के घोर विरोध के बावजूद ढाई साल तक अपने देश को यूरोपीय संघर्ष से दूर रखने के लिए नाज़ुक राजनीतिक संतुलन बनाए रखने में कामयाब रहे थे। विल्सन एक धीर गंभीर बुद्धिजीवी थे, वो प्रेस्बिटेरियन स्कॉट के वशंज थे। अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान उनके बचपन के अनुभव बेहद कड़वे थे, यही वजह थी कि वो देश को 1914 में शुरू हुए यूरोपीय संघर्ष से दूर रखना चाहते थे।
ये एक ऐसी लड़ाई थी जिसका असर और मकसद उन्होंने देखा था। उनके विचार में इसमें हिस्सा लेने से अमरीकी विदेश नीति को कोई फायदा नहीं था। तटस्थ रहना विल्सन का आदर्श वाक्य था, और इसी धुरी के आधार पर वो यूरोपीय देशों से व्यवहार कर रहे थे।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थियोडेर रूजवेल्ट समेत कई आलोचकों की नजर में वो 'सोच और कार्यवाही' दोनों में तटस्थ बन गए थे।
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अमेरिका पहले विश्व युद्ध में 6 अप्रैल 1917 को शामिल हुआ, लेकिन युद्ध का रास्ता दो महीने पहले तय हो चुका था। तब जर्मन सरकार ने ब्रिटिश द्वीपों के चारों ओर तटीय जल पर गैर-प्रतिबंधित पनडुब्बी हमलों की युद्ध नीति को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया था। दूसरे शब्दों में कहें तो वो समुद्रमार्ग से गुजरने वाले हर जहाज पर हमला करने की नीति पर लौट आने वाले थे जिसमें अमेरिकी जहाज भी शामिल थे।
तटस्थ रहने की अमेरिकी नीति
अमेरिका के राष्ट्रपति वूड्रो विल्सन विपक्ष के घोर विरोध के बावजूद ढाई साल तक अपने देश को यूरोपीय संघर्ष से दूर रखने के लिए नाज़ुक राजनीतिक संतुलन बनाए रखने में कामयाब रहे थे। विल्सन एक धीर गंभीर बुद्धिजीवी थे, वो प्रेस्बिटेरियन स्कॉट के वशंज थे। अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान उनके बचपन के अनुभव बेहद कड़वे थे, यही वजह थी कि वो देश को 1914 में शुरू हुए यूरोपीय संघर्ष से दूर रखना चाहते थे।
ये एक ऐसी लड़ाई थी जिसका असर और मकसद उन्होंने देखा था। उनके विचार में इसमें हिस्सा लेने से अमरीकी विदेश नीति को कोई फायदा नहीं था। तटस्थ रहना विल्सन का आदर्श वाक्य था, और इसी धुरी के आधार पर वो यूरोपीय देशों से व्यवहार कर रहे थे।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थियोडेर रूजवेल्ट समेत कई आलोचकों की नजर में वो 'सोच और कार्यवाही' दोनों में तटस्थ बन गए थे।