प्रदर्शन के कौन कौन से दुष्परिणाम हो सकते हैं?
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प्रगति और प्रदर्शन का आकलन
प्रगति और कार्य प्रदर्शन का आकलन करना
छात्रों के अधिगम का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं:
योगात्मक आकलन (सीख का आकलन) पीछे मुड़ कर देखता है और जो पहले से सीखा गया है उसका निर्णय करता है। यह सामान्यतया परीक्षाओं के स्वरूप में आयोजित किया जाता है, जहाँ छात्रों को परीक्षा में प्रश्नों के प्रति उनकी उपलब्धियों को बताते हुए श्रेणीकृत किया जाता है। इससे परिणामों की रिपोर्टिंग में मदद मिलती है।
रचनात्मक आकलन (या सीखने के लिए आकलन) काफ़ी अलग है, जो अधिक अनौपचारिक तथा नैदानिक स्वरूप का होता है। शिक्षक उनका शिक्षण प्रक्रिया के अंग के रूप में उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिए, जहाँ यह पता लगाने के लिए प्रश्न पूछने का इस्तेमाल किया जाता है कि क्या विद्यार्थियों ने किसी चीज़ को समझा है या नहीं। इस आकलन के परिणामों का फिर अगले अधिगम अनुभव को बदलने के लिए उपयोग किया जाता है। निगरानी और फ़ीडबैक रचनात्मक मूल्यांकन का हिस्सा है।