प्रवाह स्नेह का प्रत्येक प्राण में पला करें ,
प्रदीप ज्ञान का प्रत्येक गेह में जला करें!
उठो , कि बीत है चली प्रमाद की महानिशा
उठो नई किरण लिए जगा रही नई उषा
ka wakya bataiye please
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