Social Sciences, asked by seemabisht6403, 9 months ago

पिरय बापू आप अमऱ हैं...
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500 Words letter plzz tell me ​

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Answered by AkshayaMahadevan
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Answer:

प्रिय बापू ! आपका व्यक्तित्व अत्यंत सरल और साधारण है, आप एक शांतिप्रिय, सत्य व प्रेम में आस्था रखने वाले व्यक्ति हैं। आज भी आप किसी न किसी रूप में हम सबके बीच में अमर हैं।

मैं अक्सर आपको जीवित पाती हूँ, जब मेरी माँ मुझे आपकी कहानियां सुनाती हैं। मैं हमेशा ही मेरी माँ द्वारा सुनाई हुई आपकी कहानियों में खो जाती हूँ और मुझे ऐसा लगता है कि मैं भी आपके बचपन की घटनाओं का एक हिस्सा हूँ। जिसे मैं एक चरित्र के रूप में आज जी रही हूँ। आपके जीवन की ये घटनाएं पुनः जीवित हो उठती हैं जब भी ये दोहराई जाती हैं।

बचपन में आप बहुत ज्यादा शरारती नहीं थे लेकिन चंचल थे। आपकी माँ आपको बचपन में मोहनिया (मोनिया) बुलाती थी। आप धमा – चौकड़ी मचाया करते थे। आप अपने घर में सबसे छोटे थे और माँ के राजकुमार थे। आपके दो बड़े भाई थे – काला और करसनिया और इकलौती बहन गोकि थी। आपकी बहन गोकि आपको गोद में लेकर खूब खिलाया करती थी और माँ कहती थी गोकि तू मोहनिया को गिरा देगी। आपके सौम्य स्वभाव के कारण हर व्यक्ति का मन आपको गोद में लेने का होता था।

आपको बचपन से ही स्वतंत्रता पसंद है। एक बार की बात है आपकी माँ ने आपकी देखभाल के लिए एक दाई माँ लगा दी थी जिससे आप कहीं खो न जाएं। लेकिन आप स्वतंत्र रहना चाहते थे इसीलिए आपने पिता से कहा कि मैं कहीं नहीं खोऊँगा। तब दाई माँ आपके पीछे- पीछे चुप – चाप से जाया करती थी।

तब उस बच्चे ने कहा कि मेरी माँ आपके लिए कुर्ता सिल देगी। तब आपने कहा कि वह मेरे लिए कितने कुर्ते सिल पाएगी ? बच्चे ने कहा – जितने आप कहोगे। आपकी ह्रदय छू लेने बात यह है कि – “बेटा ! मेरा परिवार बहुत बड़ा है, मैं अकेला कुर्ता पहनूंगा तो अच्छा नहीं लगेगा, क्या तुम्हारी माँ मेरे 40 करोड़ भाई – बहनो के लिए कुर्ते सिल पायेगी ?” वह बच्चा आश्चर्यचकित हो उठा कि आप सारे लोगों को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। इस तरह की हृदयस्पर्शी बात उसके ह्रदय में समा गयी। आज भी आप अपने इन्हीं गुणों के कारण पहचाने जाते हैं।

एक बार की बात है आपने अपने पिता जी से राजा हरिश्चंद्र का नाटक देखने की जिद्द की। आपके पिता काफी व्यस्त थे। लेकिन आप राजा हरिश्चंद्र से बहुत प्रभावित थे। इसीलिए दोस्तों के साथ ही नाटक देखने को चले गए। चूँकि हरिश्चंद्र बहुत ही सत्यवादी राजा थे। उन्होंने सत्यता के लिए अपना राज – पाट और परिवार खो दिया था। हरिश्चंद्र की सत्यवादिता का आप पर बहुत ही प्रभाव पड़ा। इस प्रकार आपने तय किया कि आप हमेशा सत्य के मार्ग पर चलेंगे और यह माना कि सदा सत्य की ही जीत होती है।

प्रिय बापू ! आपके जीवन की ये घटनाएं हम लोगों को बहुत कुछ सिखाती हैं। जिनका अनुसरण सदा हम लोग करते रहेंगे। आप बचपन से ही ईमानदार थे। एक बार की बात है। जब आपके विद्यालय में विद्यार्थियों को अंग्रेजी शब्द लिखने को दिए गए। सभी विद्यार्थियों ने अंग्रेजी के शब्द लिखे। उन शब्दों को चैक किया गया।

तब आपके द्वारा लिखी गयी स्पेलिंग गलत थी। चूँकि विद्यालय में बाहर से इंस्पेक्शन की टीम आयी हुई थी। आपके शिक्षक ने आपको इशारा करते हुए कहा कि आप अपनी गलत स्पेलिंग को बगल वाले छात्र की सही लिखी हुई स्पेलिंग से देख कर लिख लें। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। शिक्षक के पूछने पर आपने बताया कि आप नक़ल नहीं करना चाहते थे।

तब आपके द्वारा लिखी गयी स्पेलिंग गलत थी। चूँकि विद्यालय में बाहर से इंस्पेक्शन की टीम आयी हुई थी। आपके शिक्षक ने आपको इशारा करते हुए कहा कि आप अपनी गलत स्पेलिंग को बगल वाले छात्र की सही लिखी हुई स्पेलिंग से देख कर लिख लें। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। शिक्षक के पूछने पर आपने बताया कि आप नक़ल नहीं करना चाहते थे। आपकी इस घटना से हमे ईमानदार होने की प्रेरणा मिलती है। – “प्रिय बापू आप अमर हैं”

आपके जीवन की एक और घटना मुझे याद है जब आप प्रथम श्रेणी के डिब्बे से दक्षिण अफ्रीका जा रहे थे। और उस समय काले – गोरे का बहुत ही ज्यादा भेद – भाव चल रहा था और दक्षिण अफ्रीका में लोग भारतीयों को कुली समझते थे। उस समय प्रथम श्रेणी के डिब्बे में काले लोगों को यात्रा करने की अनुमति नहीं थी और आपको उस डिब्बे से निकाल दिया गया था।

आपके जीवन की एक और घटना मुझे याद है जब आप प्रथम श्रेणी के डिब्बे से दक्षिण अफ्रीका जा रहे थे। और उस समय काले – गोरे का बहुत ही ज्यादा भेद – भाव चल रहा था और दक्षिण अफ्रीका में लोग भारतीयों को कुली समझते थे। उस समय प्रथम श्रेणी के डिब्बे में काले लोगों को यात्रा करने की अनुमति नहीं थी और आपको उस डिब्बे से निकाल दिया गया था।आपके पास प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद भी आपको सामान सहित निकाल दिया गया था। तब आपके मन को ठेस पहुंची कि ये तो मानवता पर अन्याय है। इसके लिए आपने अन्याय के खिलाफ सत्य का हथियार इस्तेमाल किया और इसे ही सत्याग्रह आंदोलन नाम से जाना जाता है।

आपके जीवन की एक और घटना मुझे याद है जब आप प्रथम श्रेणी के डिब्बे से दक्षिण अफ्रीका जा रहे थे। और उस समय काले – गोरे का बहुत ही ज्यादा भेद – भाव चल रहा था और दक्षिण अफ्रीका में लोग भारतीयों को कुली समझते थे। उस समय प्रथम श्रेणी के डिब्बे में काले लोगों को यात्रा करने की अनुमति नहीं थी और आपको उस डिब्बे से निकाल दिया गया था।आपके पास प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद भी आपको सामान सहित निकाल दिया गया था। तब आपके मन को ठेस पहुंची कि ये तो मानवता पर अन्याय है। इसके लिए आपने अन्याय के खिलाफ सत्य का हथियार इस्तेमाल किया और इसे ही सत्याग्रह आंदोलन नाम से जाना जाता है। ऐसी न जाने कितनी घटनाएं हैं जिनसे हमे प्रेरणा मिलती है। आपके इस दुबले – पतले शरीर में न जाने कितने गुणों का समावेश है, जिसके कारण आप आज भी हम लोगों के बीच उपस्थित हैं। आपका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका रही और आप राष्ट्रपिता भी कहलाये। यह कहना उचित ही होगा कि “प्रिय बापू आप अमर हैं”!

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