प्रयाग में कुंभ मेले पर एक प्रतिवेदन लिखिए don't copied answers and don't English answer please give me Hindi answers
Olivia09:
hi
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प्यारे बच्चो!
उत्सव प्रिय भारतीय समाज में अनेक मेलों का आयोजन होता रहता है। लेकिन कुछ मेले ऐसे हैं जिनमें सारे भारत से लोग निश्चित तिथि पर एक स्थान पर एकत्र होते हैं और आश्चर्य की बात यह है इनके लिए न कोई एक व्यक्ति आयोजक होता है न संस्था और न ही कोई किसी को स्मरण पत्र भेजता न एसएमएस या निमंत्रण पत्रिका। हजारों वर्षों से लाखों लोगों का इस तरह एकत्र होना भारतीय संस्कृति की आंतरिक एकात्मता और जीवंत चेतना का अद्भुत उदाहरण है।
बच्चो! हम जिस मेले की चर्चा कर रहे हैं वह लगता है गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल प्रयाग पर। प्रयाग तीर्थराज के नाम से प्रसिद्ध है, जो उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद के पास स्थित है।
प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल से यहां भरने वाले मेले का नाम कुंभ है। वैसे तो कुंभ मेले का आयोजन नाशिक (महाराष्ट्र), हरिद्वार (उत्तराखंड) और उज्जैन (मप्र) में भी होता है। लेकिन तीर्थराज के तट पर विशाल मैदान में लाखों लोगों और साधु-संन्यासियों का जितना बड़ा समागम यहां होता है वैसा अन्यत्र नहीं। यह लगभग एक से डेढ़ माह चलता है। इस वर्ष यह मकर संक्रांति 14 जनवरी से माघी पूर्णिमा 25 फरवरी तक आयोजित हो रहा है।
क्या आप नहीं चाहेंगे कि इसे एक बार देखे बचपन में? फिर आयु के हर पड़ाव पर कुंभ पर्व आपका स्वागत करता मिलेगा।
उत्सव प्रिय भारतीय समाज में अनेक मेलों का आयोजन होता रहता है। लेकिन कुछ मेले ऐसे हैं जिनमें सारे भारत से लोग निश्चित तिथि पर एक स्थान पर एकत्र होते हैं और आश्चर्य की बात यह है इनके लिए न कोई एक व्यक्ति आयोजक होता है न संस्था और न ही कोई किसी को स्मरण पत्र भेजता न एसएमएस या निमंत्रण पत्रिका। हजारों वर्षों से लाखों लोगों का इस तरह एकत्र होना भारतीय संस्कृति की आंतरिक एकात्मता और जीवंत चेतना का अद्भुत उदाहरण है।
बच्चो! हम जिस मेले की चर्चा कर रहे हैं वह लगता है गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल प्रयाग पर। प्रयाग तीर्थराज के नाम से प्रसिद्ध है, जो उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद के पास स्थित है।
प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल से यहां भरने वाले मेले का नाम कुंभ है। वैसे तो कुंभ मेले का आयोजन नाशिक (महाराष्ट्र), हरिद्वार (उत्तराखंड) और उज्जैन (मप्र) में भी होता है। लेकिन तीर्थराज के तट पर विशाल मैदान में लाखों लोगों और साधु-संन्यासियों का जितना बड़ा समागम यहां होता है वैसा अन्यत्र नहीं। यह लगभग एक से डेढ़ माह चलता है। इस वर्ष यह मकर संक्रांति 14 जनवरी से माघी पूर्णिमा 25 फरवरी तक आयोजित हो रहा है।
क्या आप नहीं चाहेंगे कि इसे एक बार देखे बचपन में? फिर आयु के हर पड़ाव पर कुंभ पर्व आपका स्वागत करता मिलेगा।
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