प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि डीएनए की अनुवांशिक पदार्थ है
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प्रयोग द्वारा डीएनए की आनुवंशिकता का सिद्धीकरण....
डीएनए एक आनुवंशिक पदार्थ है, इस सिद्ध करने के लिये ‘हशें वे चेज’ नामक वैज्ञानिक ने एक प्रयोग किया। इसके लिए उन्होंने P³² और P³² आइसोटॉप्स से युक्त एक माध्यम में ई-कोलाई जीवाणुओं का संवर्धन कराया। जीवाणु में कुछ समय की वृद्धि के पश्चात जीवाणु को जीवाणुभोजी द्वारा संक्रमित कराया गया। संक्रमण के बाद यह देखने में आया कि जीवाणुभोजी का जो प्रोटीन आवरण होता है, वो S³² रेडियोधर्मी से युक्त हो गया था, जबकि ऐसा होता है कि डीएनए में सल्फर होता ही नही।
इसके अलावा जीवाणुभोजी का जो डीएनए था वे P³² रेडियोधर्मी आइसोटॉप्स की उपस्थिति दिखा रहा था, क्योंकि डीएनए में फास्फोरस होता है। प्रोटीन आवरण में P³² की अनुपस्थिति थी।
अब P³² रेडियोधर्मी युक्त उस जीवाणुभोजी द्वारा एक ऐसी जीवाणुओं को संक्रमित कराया गया, जिसमें रेडियोधर्मी तत्व नहीं थे। संक्रमण के बाद यह देखने में आया कि जीवाणु रेडियोधर्मी से युक्त हो गये थे। यानी कि अधिकांश रेडियोधर्मी आइसोटॉप्स जीवाणुभोजी की अगली पीढ़ी में स्थानांतरित हो गए थे।
एक दूसरे प्रयोग मे रेडियोधर्मी तत्व मुक्त जीवाणुओं को S³² द्वारा संक्रमित कराने पर तथा जीवाणुभोजी अलग करने पर देखने में आया कि जीवाणुओं में रेडियोधर्मी तत्व उपस्थित नहीं थे, बल्कि यह जीवाणुभोजी के प्रोटीन में ही रह गए थे।
इस तरह के प्रयोग से यह सिद्ध हुआ कि जीवाणुभोजी का डीएनए ही वह पदार्थ है. जो नए जीवाणुभोजी उत्पन्न करता है। इसका कारण है कि यह भी का डीएनए फास्फोरस होता है जबकि प्रोटीन में पास नहीं होता होता है जबकि प्रोटीन सल्फर युक्त होता है। अतः जीवाणु का डीएनए आनुवंशिक पदार्थ है, प्रोटीन नहीं, यह इस प्रयोग से सिद्ध हुआ।
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