प्रयोगवादी काव्य की दो विशेषताएं
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विशेषता
1. नवीन उपमानों का प्रयोग :-
प्रयोगवादी कवियों ने पुराने एवं प्रचलित उपमानों के स्थान पर नवीन उपमानों का प्रयोग किया हैं। प्रयोगवादी कवि मानते है कि काव्य के पुराने उपमान अब बासी पड़ गए हैं।
2. प्रेम भावनाओं का खुला चित्रण :-
इन्होंने ने प्रेम भावनाओं का अत्यंत खुला चित्रण कर उसमे अश्लीलता का समावेश कर दिया है।
3. बुद्धिवाद की प्रधानता :-
प्रगतिवादी कवियों ने बुद्धि तत्व को अधिक प्रधानता दी है इसके कारण काव्य मे कहीं-कहीं दुरूहता आ गई है।
4. निराशावाद की प्रधानता:-
इस काल के कवियों ने मानव मन की निराशा, कुंठा व हताशा का यथातथ्य रूप मे वर्णन किया है।
5. लघुमानव वाद की प्रतिष्ठा:-
इस काल की कविताओं मे मानव से जुड़ी प्रेत्यक वस्तु को प्रतिष्ठा प्रदान की गई है तथा उसे कविता का विषय बनाया गया है।
6. अहं की प्रधानता:-
फ्रायड के मनोविश्लेषण से प्रभावित ये कवि अपने अंह को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं।
7. रूढ़ियों के प्रति विद्रोह:-
इस काल की कविताओं मे रूढ़ियों के प्रति विद्रोह का स्वर मुखर हुआ है। इन कवियों ने रूढ़ि मुक्त नवीन समाज की स्थापना पर बल दिया हैं।
8. मुक्त छन्दों का प्रयोग:-
प्रगतिवादी कवियों ने अपनी कविताओं के लिए मुक्त छन्दों का चयन किया हैं।
7. व्यंग्य की प्रधानता:-
इस काल के कवियों ने व्यक्ति व समाज दोनों पर अपनी व्यंग्यात्मक लेखनी चलाई है।
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