प्रयोगवादी काव्यधारा की किन्हीं दो प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए
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=> प्रयोगवादी काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्राचीन रूढ़ियों का विरोध
- मानवतावादी प्रवृत्ति
- शोषक वर्ग के प्रति घृणा शोषण के प्रति घृणा
- विद्रोह एवं क्रांति का भाव
- यथार्थवादी चित्रण
- नए अलंकारों का प्रयोग
- एवं नए बिंब विधान आदि प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं हैं।
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प्रयोगवादी काव्यधारा:
प्रयोगवाद हिन्दी साहित्य की आधुनिकतम विचारधार है। इसका एकमात्र उद्देश्य प्रगतिवाद के जनवादी दृष्टिकोण का विरोध करना है। प्रयोगवाद कवियों ने काव्य के भावपक्ष एवं कलापक्ष दोनों को ही महत्व दिया है। इन्होंने प्रयोग करके नये प्रतीकों, नये उपमानों एवं नवीन बिम्बों का प्रयोग कर काव्य को नवीन छवि प्रदान की है। प्रयोगवादी कवि अपनी मानसिक तुष्टि के लिए कविता की रचना करते थे।
प्रयोगवादी काव्यधारा की प्रवृत्तियों का उल्लेख:
1.घोर अहंनिष्ठ व्यक्तिवाद-
प्रयोगवादी कविता के लेखक की अंतरात्मा में अर्हनिष्ठ इस रूप से बद्धमूल रूप है कि वह सामाजिक जीवन के साथ किसी प्रकार के सामजस्य का गठबन्धन नही कर सकता।
2. अति नग्न यथार्थवाद-
इस कविता में दूषित मनोवृत्तियों का चित्रण भी अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गया है। जिस वस्तु को श्रेष्ठ साहित्यकार अरूचिकर अश्लील ग्राम्य और अस्वस्थ समझकर उसे साहित्य जगत से बहिष्कृत करता है।
3.निराशावाद-
नई कविता का कवि अतीत की प्रेरणा और भविष्य की उललासमीय उज्जवल आकांक्षा दोनो से विहीन है उसका दृष्टि केवल वर्तमान पर ही टिकी है। यह निराशा के कुहासे से सर्वत आवृत्त है। उसका दृष्टिकोण दृश्यमान जगत के प्रति क्षणवादी तथा निराशावादी है।
4. अति बौद्धिकता-
आज की नई कविता में अनुभूति एवं रागात्मकता की कमी है इसक विपरीतइसमें बौद्धिक व्यायाम की उछल कूद आवश्यकता से भी अधिक है। नया कवि पाठक के हदय को तरंगित तथा उद्देलित न कर उसकी बुद्धि को अपनी पहली बुझैवल के चक्रव्यूह में आबद्ध करके उसे परेशान करना चाहता है।
5. वैज्ञानिक युग बोध और नये मूल्यों का चित्रण-
प्रस्तुत काव्यधारा के लेखक ने आधुनिक युग-बोध और वैज्ञानिक बोध के नाम पर मानव जीवन के नवीन मूल्यों का अंकन न करके मूल्यों के विघटन से उत्पन्न कुत्सित विकृत्तियों का चित्रण किया है। नई कविता के लेखक ने संक्रान्तिजन्य त्रास, यातना, घुटन, द्वन्द्व, निराशा, अनास्था, जीवन की क्षणिकता सन्देह तथा अनेकधा-विभक्त-व्यक्तित्व का निरूपण किया है।
6. रीतिकाव्य की आवृत्ति-
बड़े आश्चर्य का विषय है कि अत्याधुनिकता का दंभ भरने वाली नई कविता सदियों पुराने रीतिकाव्य की पद्धति का अनुसरण कर रही है।
7. छन्द-
कविता के अन्य क्षेत्रों में समान प्रयोगवादी कलाकार प्रायः छन्द आदि के बन्धन को स्वीकार न करके मुक्तक परम्परा में विश्वास रखता है और उसने इसी का प्रयोग किया है।
Project Code# SPJ2