प्रयोगवाद और प्रगतिवाद में कोई चार अंतर बताइए
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प्रयोगवाद और प्रगतिवाद में कोई चार अंतर इस प्रकार है:-
प्रयोगवाद:-
- प्रयोगवाद हिन्दी साहित्य की आधुनिकतम विचारधार है। इसका एकमात्र उद्देश्य प्रगतिवाद के जनवादी दृष्टिकोण का विरोध करना है। प्रयोगवाद कवियों ने काव्य के भावपक्ष एवं कलापक्ष दोनों को ही महत्व दिया है।
- प्रयोगवाद में कला पक्ष का अधिक महत्व होता है |
- प्रयोगवाद में व्यक्ति की समस्याओं का चित्रण नहीं होता।
- प्रयोगवाद केवल साहित्यिक, आंदोलन था |
- प्रयोगवाद के प्रवर्तक या जनक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन (अज्ञेय) है।
प्रगतिवाद:-
- प्रगतिवाद का अर्थ है ”समाज, साहित्य आदि की निरन्तर उन्नति'' पर जोर देने का सिद्धांत। ' प्रगतिवाद छायावादोत्तर युग के नवीन काव्यधारा का एक भाग हैं। यह उन विचारधाराओं एवं आन्दोलनों के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया जाता है जो आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों में परिवर्तन या सुधार के पक्षधर हैं |
- प्रगतिवाद में विषय-वस्तु पक्ष का अधिक महत्व होता है |
- प्रगतिवाद में व्यक्ति की समस्याओं की प्रधानता होती है |
- प्रगतिवाद प्रगतिशील आंदोलन का संबंध स्वाधीनता संघर्ष से था |
- प्रगतिवाद युग के प्रवर्तक या जनक कार्ल मार्क्स को माना जाता है |
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