' प्रयास करते रहने से सफलता जरूर मिलती है ' सन्देश देती हुई कहानी लिखिए ( 100 शब्द )
Answers
Explanation:
सफलता क्या है? हर किसी की सफलता की परिभाषा दूसरों से भिन्न है। इसलिए हर किसी की सफलता की व्याख्या अलग होती है। कुछ के लिए यह मन की एक अवस्था है, कुछ के लिए भौतिक सुख, तो कुछ के लिए एक निश्चित पद को पाना और कुछ के लिए समाज में कुछ बड़ा कर नाम और शोहरत पाना। मेरे विचार से सफलता कभी पूर्ण नहीं होती है बल्कि यह सापेक्ष होती है। यह सिर्फ एक अल्पविराम है, पूर्णविराम नहीं। यह अंत न होकर जीवन की यात्रा का सिर्फ एक मोड़ है। इससे कभी संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता। असल में सफलता हमेशा बेहतर करने और आगे बढ़ने का संदेश देती है। मुझे अपने जीवन में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है जो अपनी सफलता से संतुष्ट हो, चाहे वह शीर्ष राजनीतिज्ञ या नामचीन व्यक्ति हो या एक सफल खिलाड़ी हो। मैंने हमेशा इन सभी को दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए ही पाया है और दूसरों की सफलता को देखते हुए एक व्यक्ति अपनी सफलता का आनंद ही नहीं ले पाता।
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HEY MATE HERE IS UR ANSWER
एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था। उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी। पिता की मृत्यु हो गयी थी। उसकी मां घर-घर जाकर बर्तन मांज कर घर का गुजारा करती थी। वह लड़का अक्सर चुपचाप ही बैठा रहता था। एक दिन उसके टीचर ने उसे एक पत्र देते हुए कहा, तुम इसे अपनी मां को दे देना। उसकी मां उस पत्र को पढ़कर मन ही मन मुस्कुराने लगी। बेटे ने अपनी मां से पूछा, मां इस पत्र में क्या लिखा है? मां ने कहा, बेटा इसमें लिखा है कि आपका बेटा कक्षा में सबसे होशियार है। हमारे पास ऐसे अध्यापक नहीं हैं, जो आपके बच्चे को पढ़ा सकें। इसलिए आप इसका एडमिशन किसी और स्कूल में करवा दीजिए। लड़का खुश हो गया। और साथ ही साथ उसका कॉन्फिडेंस भी बढ़ गया। वह मन ही मन सोचने लगा की उसके पास कुछ खास है।
एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था। उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी। पिता की मृत्यु हो गयी थी। उसकी मां घर-घर जाकर बर्तन मांज कर घर का गुजारा करती थी। वह लड़का अक्सर चुपचाप ही बैठा रहता था। एक दिन उसके टीचर ने उसे एक पत्र देते हुए कहा, तुम इसे अपनी मां को दे देना। उसकी मां उस पत्र को पढ़कर मन ही मन मुस्कुराने लगी। बेटे ने अपनी मां से पूछा, मां इस पत्र में क्या लिखा है? मां ने कहा, बेटा इसमें लिखा है कि आपका बेटा कक्षा में सबसे होशियार है। हमारे पास ऐसे अध्यापक नहीं हैं, जो आपके बच्चे को पढ़ा सकें। इसलिए आप इसका एडमिशन किसी और स्कूल में करवा दीजिए। लड़का खुश हो गया। और साथ ही साथ उसका कॉन्फिडेंस भी बढ़ गया। वह मन ही मन सोचने लगा की उसके पास कुछ खास है।अगले ही दिन उसकी मां ने उसका एडमिशन दूसरे स्कूल में करवा दिया। उस लड़के ने मन लगाकर पढ़ाई की और एक दिन अपनी मेहनत के दम पर बड़ी सफलता हासिल की। वह लड़का कोई और नहीं महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन थे। मां बूढ़ी हो चुकी थीं। एक दिन अचानक ही उनकी मृत्यु हो गयी। तभी अचानक उन्होंने अपनी मां की अलमारी खोली, और उनके सामानों को देखने लगे। उनकी नजर एक पत्र पर पड़ी। यह वही पत्र था, जो उसकी टीचर ने उसकी मां को देने के लिए दिया था।
एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था। उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी। पिता की मृत्यु हो गयी थी। उसकी मां घर-घर जाकर बर्तन मांज कर घर का गुजारा करती थी। वह लड़का अक्सर चुपचाप ही बैठा रहता था। एक दिन उसके टीचर ने उसे एक पत्र देते हुए कहा, तुम इसे अपनी मां को दे देना। उसकी मां उस पत्र को पढ़कर मन ही मन मुस्कुराने लगी। बेटे ने अपनी मां से पूछा, मां इस पत्र में क्या लिखा है? मां ने कहा, बेटा इसमें लिखा है कि आपका बेटा कक्षा में सबसे होशियार है। हमारे पास ऐसे अध्यापक नहीं हैं, जो आपके बच्चे को पढ़ा सकें। इसलिए आप इसका एडमिशन किसी और स्कूल में करवा दीजिए। लड़का खुश हो गया। और साथ ही साथ उसका कॉन्फिडेंस भी बढ़ गया। वह मन ही मन सोचने लगा की उसके पास कुछ खास है।अगले ही दिन उसकी मां ने उसका एडमिशन दूसरे स्कूल में करवा दिया। उस लड़के ने मन लगाकर पढ़ाई की और एक दिन अपनी मेहनत के दम पर बड़ी सफलता हासिल की। वह लड़का कोई और नहीं महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन थे। मां बूढ़ी हो चुकी थीं। एक दिन अचानक ही उनकी मृत्यु हो गयी। तभी अचानक उन्होंने अपनी मां की अलमारी खोली, और उनके सामानों को देखने लगे। उनकी नजर एक पत्र पर पड़ी। यह वही पत्र था, जो उसकी टीचर ने उसकी मां को देने के लिए दिया था।उस पत्र में लिखा था कि आपको ये बताते हुए हमे बहुत दुख है कि आपका बेटा पढ़ाई-लिखाई में बहुत ही कमजोर है। जिस तरह से इसकी उम्र बढ़ रही है, उस तरह से इसकी बुद्धि का विकास नहीं हो रहा है। इसलिए हम इसे स्कूल से निकाल रहे हैं। आप इसका एडमिशन किसी दूसरे स्कूल में करवा दीजिये। नहीं तो घर में इसे पढ़ाइए। जिस प्रकार पत्र पढ़कर आइंस्टीन की मां ने अपने बेटे की सोच बदल दी। ठीक उसी प्रकार आप भी अपनी सोच बदल सकते हैं। खुद सोचिए कि वो लड़का तो वही था, फिर वो आइंस्टीन कैसे बना? सिर्फ अपनी सोच से। उन्होंने मान लिया कि वो खास है। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं, ये हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखता है।
Hope it is helpful to you
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