प्रय त्योहार पर 30 से 50 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
Answers
Answer:
दिवाली का त्योहार कई दिनों के उत्सवों का एक सामूहिक नाम हैं. जिसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती हैं इस दिन बर्तन गहने तथा कीमती वस्तुएं खरीदने की परम्परा हैं. इसका अगला दिन नरक चतुदर्शी का होता हैं इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस दिन एक दीपक जलाने की परम्परा हैं.
कार्तिक अमावस्या का दिन दिवाली उत्सव का मुख्य दिन होता हैं. इस रात्रि को शुभ मुहूर्त में पूजन के साथ माँ लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता हैं. दीपावली का अगला दिन गौवर्धन पूजा का होता हैं, इस अवसर पर गायों व बछड़ों का पूजन किया जाता हैं. इस पंचदिवसीय पर्व का आखिरी दिन भैया दूज है जिसे भाई बहिन का त्योहार भी कहते हैं.
Explanation:
hope it help
Answer:
प्रस्तांवना:
दीवाली की भाँति होली भी हिन्दुओं का एक प्रमुख लोटा है । यह बड़ा महत्त्वपूर्ण त्यौहार है । यह फास्युन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो अधिकतर मार्च के महीने में पड़ता है ।
इस दिन वसन्त प्रारम्भ होती है । यह त्यौहारों शूद्रों का त्यौहार कहलाता है, लेकिन सभी जाति के हिन्दू इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं । सारे देश मैं इस त्यौहार को मनाने के लिए बडी तैयारियाँ की जाती हैं ।
क्यों मनाया जाता है ?
होली के त्यौहार का संबंध भक्त प्रहलाद की कथा से जोड़ा जाता है । वे ईश्वर के सच्चे भक्त थे । उनके पिता हिरण्याकश्यप एक राक्षस थे । उन्होंने प्रहलाद को ईश्वर-भक्ति छोड़ने के लिए तरह-तरह से डराया-धमकाया । जब वे नहीं माने, तो उन्हें उसे जान से मार देने -के कई प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली ।
जब वे प्रहलाद को मारने मे किसी प्रकार सफल नहीं हुए, तो उन्होंने होलिका नाम की अपनी बहिन को आदेश दिया की वह प्रइलाद को जिन्दा जला दें । होलिका के पास एक मणि थी और उसे वरदान प्राप्त था कि जब तक उसके पास यह मणि रहेगी, किसी तरह की आग उसका कुछ न बिगाड़ सकेगी ।
होलिका ने बहाने से प्रहलाद को अपनी गोद में लिया और लकड़ियों के एक विशाल ढेर पर बैठ गई । ढेर में आग लगा दी गई । लेकिन दैव योग से वह मणि होलिका की गोद से छिटक कर प्रहलाद की गोद में आ गिरी ।
फलस्वरूप होलिका तो उस आग मे जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद का बाल-बाका भी नहीं हुआ । इसी याद मे हर वर्ष जगह-जगह होली जलाई जाती है । ब्रज क्षेत्र में होली का संबंध भगवान् कृष्ण की लीलाओं से लगाया जाता है ।
कैसे मनाया जाता है?
सड़कों और चौराहों पर जगह-जगह लकड़ी, उपलों और ईंधन के बड़े-बड़े ढ़ेर जमा कर दिए जाते हैं । इसे होली कहा जाता है । स्त्रियों दिन में इस होली की पूजा करती हैं । वे इसके चारों ओर कच्चे सूत को लपेटकर इसको परिक्रमा करती हैं । रात को एक निश्चित समय पर इसमें आग लगा दी जाती है ।
होली की लपटों में गन्ने हरे चने के दाने और जी की बालियाँ भूनी जाती है । जलती होली के चारो ओर बड़े-बड़े ढोल-ताशे और नगाडे बजाये जाते है । घर लाकर भूने हुए गन्ने और अनाज के दाने लोगों को खाने के लिए दिए जाते हैं । हर हिन्दू के घर में भाँति-भाँति की मिठाई नमकीन और पकवान बनाए जाते हैं । सभी मिलकर इन्हे बड़े चाव से खाते हैं । इस दिन नए कपड़े पहने जाते है ।
Explanation: