पुस की रात' कहानी की कथा तत्त्वों के आधार पर समीक्षा करते हुए कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए
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इसी तरह प्रेमचंद की कहानी “पूस की रात” किसान की स्थिति का प्रामाणिक दस्तावेज है। इसमें उसकी ऋण ग्रस्तता, मौसम की मार, कर्ज चुकाने की असमर्थता, किसान का परिवेश व पशुधन के साथ रिश्ता, कृषि से हताशा और ऊब, महिलाओं का ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चलाने में केंद्रीय योगदान समझा जा सकता है।
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मुंशी प्रेमचंद ने “पूस की रात” कहानी करीब 100 साल पहले (1921) लिखी थी। उस दौर में कृषि और किसानों की स्थिति को जानने समझने के लिए यह एक दुर्लभ कहानी है। ... जिस तरह हल्कू नीलगाय से फसल को बचाने के लिए रात में पहरेदारी करता था, उसी तरह आज भी किसान आवारा पशुओं से खेतों को बचाने के लिए रात भर जाग रहे हैं।
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