पूस की रात कहानी का साराश अपने शब्दो में लिखिए
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इसी तरह प्रेमचंद की कहानी “पूस की रात” किसान की स्थिति का प्रामाणिक दस्तावेज है। इसमें उसकी ऋण ग्रस्तता, मौसम की मार, कर्ज चुकाने की असमर्थता, किसान का परिवेश व पशुधन के साथ रिश्ता, कृषि से हताशा और ऊब, महिलाओं का ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चलाने में केंद्रीय योगदान समझा जा सकता है
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कहानी में कृषक जीवन की दुर्बलता और सबलता की झाँकी दिखाना है । कृषक याने किसान एक एक दृष्टि से सबल होता है । वह कडी मेहनत करता है । पैसा-पैसा काँट-छाँटकर बचा रखता है । फिर हर प्रकार के कष्ट सहन करता है । जाडे में ठिठुरता है,जमिंदार की गाली सुनता है,फिर भी काम करता जाता है । यही उसकी सबलता है । वह दुर्बल है, क्यों कि उसमें जमिंदार के अन्याय के विरुद्ध खडा होने की हिम्मत नहीं है । परिस्थितियाँ इसके लिए जिम्मेदार हैं । हल्कू ने अपनी मेहनत की कमाई जमिंदार को दी और खुद पूस की रात में ठण्ड से ठिठुरने लगा । यही उसकी कमजोरी है । परिस्थितियों की दबाव के कारण नील गायों से अपनी फसल की रक्षा भी न कर सका । अतः कहानी कार ने किसान की विवशता के लिए जिम्मेदारी शक्तियों के प्रति व्यंग्य किया है ।
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