पूस कि रात कहानी का सारांश लिखीए
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मुंशी प्रेमचंद ने “पूस की रात” कहानी करीब 100 साल पहले (1921) लिखी थी। ... पूस की रात में किसानों की दो समस्याएं मुख्य रूप से उभरकर सामने आती हैं- कर्ज में डूबा किसान और खेती का लाभकारी न होना। हल्कू की तरह देश का किसान आज भी कर्ज में डूबा है और आज भी खेती लाभकारी नहीं है।
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मुंशी प्रेमचंद ने “पूस की रात” कहानी करीब 100 साल पहले (1921) लिखी थी। ... पूस की रात में किसानों की दो समस्याएं मुख्य रूप से उभरकर सामने आती हैं- कर्ज में डूबा किसान और खेती का लाभकारी न होना। हल्कू की तरह देश का किसान आज भी कर्ज में डूबा है और आज भी खेती लाभकारी नहीं है l
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