पैसे के व्यंग में कितनी शक्ति है
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पैसे वाला स्वयं को बड़ा तथा दूसरों से श्रेष्ठ समझता है। पैसे के अभाव में मनुष्य पैसे वालों से ईर्ष्या करता है। वह अपने धनवान सगे-सम्बन्धियों के प्रति भी ईष्र्यालु हो जाता है। पैसे की शक्ति ही उसकी व्यंग्य शक्ति कहलाती है।
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