पुस्तक जो मुझे प्रिय है अनुच्छेद लेखन
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हमारे जीवन में पुस्तकों का बड़ा महत्व होता हैं ये हमारे लिए सच्ची मार्गदर्शक एवं सखा की भूमिका निभाती हैं जीवन की विपरीत परिस्थतियों में यह हमें कैसे आगे बढ़ना हैं आदि की सीख देती हैं. हम पुस्तकों के ज्ञान पर ही अमल करते बड़े हुए हैं, स्कूल से लेकर जीवन के अंत तक किताबों के मध्य ही रहते हैं. पुस्तक बाल मन पर गहरी छाप छोडती हैं. तथा वह उनके चरित्र व व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका होती हैं.
वैसे मुझे बहुत सी पुस्तकें प्रिय हैं. मगर मुझे प्रिय में सबसे प्रिय तुलसी बाबा द्वारा लिखित रामचरितमानस हैं जो मेरे आदर्श पुरुष श्रीराम जी के जीवन पर आधारित हैं. गोस्वामी तुलसीदास कृत मानस को मानवता के लिए देन सबसे बड़ा उपहार था.
इस पुस्तक का मेरे मन मस्तिष्क और व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ा हैं. मानस को हर बार पढ़ने के बाद प्रिय राम के चरण पर जीवन को चलाने की प्रेरणा मिलती रहती हैं. वाकई हम मानस को अपने जीवन में उतारकर उत्तम चरित्र का निर्माण कर सकते हैं.
रामचरितमानस के मुख्य पात्र भगवान् श्रीराम अयोध्या के राजा दशरथ जी के ज्येष्ठ पुत्र थे, उन्होंने आदर्श पुत्र के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की. पिता के वचन पालन के लिए वे 14 वर्ष तक वन में रहे, पत्नी सीता के हरण के बाद पति धर्म निभाया तथा रावण को मारा. सुग्रीव के संग उन्होंने मित्र धर्म का पालन किया तो भाई भरत के प्रति उनके प्रेम आदर्श की पराकाष्टा थी.