History, asked by priti14374, 5 months ago

पुस्तक की आत्मकथा (निबंध)​

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Answered by Anonymous
25

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मैं अपना परिचय कुछ इस प्रकार देना चाहूंगी – मैं ज्ञान का भंडार हूं, मुझमें ज्ञान का सागर उपस्थित है। मैं शिक्षा एवं मनोरंजन का उत्तम साधन मानी जाती हूं। मेरे बिना शिक्षा ग्रहण करना संभव नहीं है, शिक्षा के क्षेत्र को मेरे बिना कल्पना कर पाना भी संभव नहीं है। मैं शिक्षक एवं शिष्य के बीच की डोरी हूं।

मनुष्य ने मेरी कुछ इस प्रकार व्याख्या की है, “पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र मानी जाती है”। मुझ में मां सरस्वती का वास है। मुझे पढ़ कर ना जाने कितने ही अज्ञानी विद्वान बनते है। जो व्यक्ति मेरे साथ मित्रता का स्वभाव रखते हैं, मुझे अपना सबसे ज्यादा वक्त देते हैं, मेरे साथ अधिकतम समय बिताते हैं, मुझे पढ़ते हैं, उन्हें में अंधकार से प्रकाश की ओर ले आती हूं।

Answered by db933250
8

Answer:

मैं अपना परिचय कुछ इस प्रकार देना चाहूंगी – मैं ज्ञान का भंडार हूं, मुझमें ज्ञान का सागर उपस्थित है। मैं शिक्षा एवं मनोरंजन का उत्तम साधन मानी जाती हूं। मेरे बिना शिक्षा ग्रहण करना संभव नहीं है, शिक्षा के क्षेत्र को मेरे बिना कल्पना कर पाना भी संभव नहीं है। मैं शिक्षक एवं शिष्य के बीच की डोरी हूं।

Explanation:

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