पुस्तक की आत्मकथा। निबंध लिखिये।
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मैं पुस्तक हूं जिसे पढ़कर कोई भी मनुष्य विद्वान बनता है। मैं इंसान को अंधकार से उजाले की ओर ले जाने का काम करती हूं। मेरे कारण ही कोई भी मनुष्य सभ्य बन पाता है और अपने राष्ट्र के लिए कुछ कर पाता है। मुझमें लिखा हुआ ज्ञान ही मनुष्य को आज इतना आधुनिक बना पाया है।
छोटे बच्चे अपनी जिंदगी में ज्ञान प्राप्त करने की शुरुआत मुझसे ही करते हैं और समय के साथ साथ वे ज्ञानी होते जाते हैं। बाद में यही बच्चे बड़े होकर अपने राष्ट्र की प्रगति में भागीदार बनते हैं।
प्राचीन काल की बात करें तो मेरा उपयोग ज्ञान को संरक्षित रखने के लिए किया जाता था। ज्ञान की सारी चीजें मुझ में लिख दी जाती थी और उसे अच्छे से संभाल कर रखा जाता था। ज्ञान को संरक्षित करने का एक फायदा यह भी था कि उसे कोई व्यक्ति कुछ समय के बाद यदि भूल भी गया हो तो वह ज्ञान को दोबारा प्राप्त कर सकें। इसके कारण ही ज्ञान कभी भी नष्ट नहीं होता था और हमेशा मनुष्य के पास रहता था।
आज भी आप कई पुस्तक प्राचीन काल की देखते होंगे जिसमें ज्ञान की बहुत सारी बातें ऋषि-मुनियों द्वारा लिखी गई थी। यदि उस वक्त इन ज्ञान की बातों को संरक्षित ना किया जाता तो शायद आज हमें उनके द्वारा दिया गया ज्ञान ना प्राप्त होता।