पुस्तकालय का महत्व पर निबंध for class 8 in 50 words
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पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसे हम पुस्तक + आलय कहते है जिसे हम आसान शब्दों में पुस्तकों का घर भी कह सकते है क्योंकि यहां पर ज्ञान विज्ञान ग्रंथ साहित्य राजनीतिक विज्ञान एवं अलग-अलग भाषाओं का संग्रह होता है.
पुस्तकालय कई प्रकार के होते है जैसे व्यक्तिगत पुस्तकालय, विद्यालय का पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय, चलते फिरते पुस्तकालय और आजकल तो डिजिटल पुस्तकालय भी उपलब्ध है.
इन सभी पुस्तकालयों में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें मिलती है जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है.
पुस्तकालय हमारे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में होते है क्योंकि यहां पर हमारे पूर्वजों की लिखी हुई अच्छी किताबों का संग्रहण किया जाता है जिसका उपयोग हम आगे आने वाले जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है.
जो भी व्यक्ति अच्छी और अधिक मूल्य वाली पुस्तके नहीं करी सकता है वह यहां पर आकर आराम से शांत माहौल में पुस्तकें पड़ सकता है और अपने ज्ञान के जिज्ञासा को शांत कर सकता है.
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पुस्तकालय का महत्व....
पुस्तकालय , अर्थात पुस्तकों का विशाल संग्रह या घर। पुस्तकों के आगार या भंडार को, या फिर उस स्थान विशेष को कि जहाँ अनेक विषयों से सम्बंधित सभी प्रकार की पुस्तकें एकत्रित या संकलित रहती है। परिभाषित प्रचलित शब्दावली में पुस्तकालय (Pustakalaya) कहा जाता है। इस प्रकार हम किसी अच्छे पुस्तकालय को युग-युगों के संचित ज्ञान का भंडार भी कह सकते हैं। क्योंकि युग-युगों से मनुष्य जो भी भाव-विचार संंजोता आया है, वे सारे विविध विष्ज्ञयों की पुस्तकों में संचित रहा करते हैं, इस कारण पुस्तकालय को संचित ज्ञान का भंडार कहना उचित ही है।
वहाँ सभी प्रकार की उपयोगी एंव ललित कलां से सम्बंधित
पुस्तकें भी तो संकलित रहा करती हैं, अत: उन्हें हम ज्ञान के भंडार के साथ-साथ उपयोगी एंव ललित-कला साहिहत्य का भंडार भी कह सकते हैं। इन तथ्यों के आलोक में पुस्तकालय का महत्त्व (pustakalaya ka mahatva) तो उजागर हो ही जाता है, यह भी पता चल जाता है कि पुस्तकालय कोई निर्जीव वस्तुओं का संग्रहालय नहीं, बल्कि युग-युगों की मानवीय सजीव संवेदनाओं, सोचों और विचारेां का आधारभूत जीवंत संग्रहालय है।