पुस्तकालय में आई टी का उपयोग कैसे किया जाता है?
Answers
राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय
पृष्ठभूमि
पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं क्योंकि वहां पुस्तकें और ज्ञान के अन्य संसाधन प्राय: मुद्रित रूप में रखे जाते हैं। तथापि डिजिटल प्रौद्योगिकी और इंटरनेट कनेक्टिवटी की खोज के साथ पुस्तकालय परिदृश्य भी तेजी से बदल रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकी, इंटरनेट कनेक्टिवटी और भौतिक रूप में सूचना सामग्री के परिणामस्वरूप डिजिटल पुस्तकालय तैयार किए जा सकते हैं। भौतिक रूप में उपलब्ध डेटा को डिजिटल पुस्तकालय में डिजिटल रूप में संरक्षित किया जा सकता है। डिजिटल पुस्तकालय में सूचना और ज्ञान के अभिगम का विस्तार करने की क्षमता है। वे समय और स्थान की बाधाओं को भी दूर करती हैं।
अतीत में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों ने भौतिक रूप में उपलब्ध डेटा को डिजीटाइज्ड/संरक्षित करने के लिए प्रयास किए हैं। हालांकि यह गतिविधि संगठन के कार्य/रूचि के क्षेत्र तक ही अधिकांशत: सीमित हो गई है। पहले इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) ने डिजिटल पुस्तकालय प्रयासों के क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की है। ये प्रयास अनिवार्यत: दो प्रकार के रहे हैं:
• भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के समन्वय में और कार्नेज मेलन विश्वविद्यालय, यूएसए के सहयोग से मेगा केंद्रों और स्कैनिंग केंद्रों की स्थापना। सहयोगात्मक प्रबंधन के अंतर्गत इन केंद्रों के लिए स्कैनर कार्नेज मेलन विश्वविद्यालय, यूएसए द्वारा इसके मिलियन बुक यूनिवर्सल डिजिटल लाइब्रेरी प्रोग्राम के अंतर्गत उपलब्ध कराए गए। भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर इस कार्यक्रम का समन्वयन प्रोफेसर एन. बालाकृष्णन, एसोसिएट निदेशक के मार्गदर्शन में कर रहा है। डीईआईटीवाई ने कंप्यूटरों, प्रशिक्षण, जनशक्ति टैरिफ आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की।
• इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से पूर्ण वित्तीय सहायता के साथ डिजिटाइजेशन
Answer:
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Explanation:
पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं क्योंकि वहां पुस्तकें और ज्ञान के अन्य संसाधन प्राय: मुद्रित रूप में रखे जाते हैं। तथापि डिजिटल प्रौद्योगिकी और इंटरनेट कनेक्टिवटी की खोज के साथ पुस्तकालय परिदृश्य भी तेजी से बदल रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकी, इंटरनेट कनेक्टिवटी और भौतिक रूप में सूचना सामग्री के परिणामस्वरूप डिजिटल पुस्तकालय तैयार किए जा सकते हैं। भौतिक रूप में उपलब्ध डेटा को डिजिटल पुस्तकालय में डिजिटल रूप में संरक्षित किया जा सकता है। डिजिटल पुस्तकालय में सूचना और ज्ञान के अभिगम का विस्तार करने की क्षमता है। वे समय और स्थान की बाधाओं को भी दूर करती हैं।
अतीत में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों ने भौतिक रूप में उपलब्ध डेटा को डिजीटाइज्ड/संरक्षित करने के लिए प्रयास किए हैं। हालांकि यह गतिविधि संगठन के कार्य/रूचि के क्षेत्र तक ही अधिकांशत: सीमित हो गई है। पहले इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) ने डिजिटल पुस्तकालय प्रयासों के क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की है। ये प्रयास अनिवार्यत: दो प्रकार के रहे हैं:
• भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के समन्वय में और कार्नेज मेलन विश्वविद्यालय, यूएसए के सहयोग से मेगा केंद्रों और स्कैनिंग केंद्रों की स्थापना। सहयोगात्मक प्रबंधन के अंतर्गत इन केंद्रों के लिए स्कैनर कार्नेज मेलन विश्वविद्यालय, यूएसए द्वारा इसके मिलियन बुक यूनिवर्सल डिजिटल लाइब्रेरी प्रोग्राम के अंतर्गत उपलब्ध कराए गए। भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर इस कार्यक्रम का समन्वयन प्रोफेसर एन. बालाकृष्णन, एसोसिएट निदेशक के मार्गदर्शन में कर रहा है। डीईआईटीवाई ने कंप्यूटरों, प्रशिक्षण, जनशक्ति टैरिफ आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की।
• इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से पूर्ण वित्तीय सहायता के साथ डिजिटाइजेशन