पुस्तकालय पर एक अनुच्छेद लिखिए ।
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प्राचीन काल से ही भारतीय जनता की पुस्तको में बहुत अभि रुचि रही है । प्राचीन काल में भी हस्तलिखित ग्रन्धों के संग्रह करने की परम्परा थी । नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला आदि प्राचीन विश्वविद्यालयों में बड़े-बड़े पुस्तकालय होने के प्रमाण पाये जाते हैं जिन्हे बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट-अष्ट कर दिया । मुगल शासक भी कला प्रेमी थे ।
उन्होंने पुस्तक सग्रह को प्रोत्साहन दिया । मुगल काल में भी कई पुस्तकालय होने के प्रमाण मिलते हैं । अग्रेजो के शासनकाल में इस दिशा में काफी प्रगति हुई । उन्होंने अंग्रेजी पुस्तकों के कई संग्रहालय खोले । कई विद्या प्रेमी अग्रेजों ने सकत पढ़कर भारतीय राहित्य व संस्कृति का गहन अध्ययन किया । उन्होंने सस्कृत के ग्रन्धों पर आधारित नूतन अन्यों की रचना भी की ।
उसके बाद अंग्रेजी पुस्तकालयों में भारतीय भाषाओं की पुस्तकों को भी सम्मान मिला, तदनन्तर भारत में कई वृहद ग्रन्थागारों का निर्माण हुआ । आज भारत में कई वृहद सार्वजनिक व विश्वविद्यालयी पुस्तकालय है जिनमे हर दि वय की हर प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होती है ।
विद्यालयों में पुस्तकालय:
प्रत्येक विद्यालय में एक रव्यवस्थित पुस्तकालय होता है, जिसमे पुस्तकालयाध्यक्ष व उसके सहकर्मी रहते हैं । विद्यालयों में माध्यमिक स्तर तक दो प्रकार की पुस्तके होती हैं एक बुक बैक की पुस्तकें दूसरी सामान्य पुस्तकें । बुक बैंक पुस्तकों में केवल पाठ्यक्रम की पुस्तकें ही आती हैं, जिन्हें छात्रों को निश्चित अवधि तक उधार दिया जाता है । ये पुस्तके बहुधा निर्धन छात्रो को उधार दी जाती हैं ।
सामान्य पुस्तकों के अन्तर्गत वे पुस्तकें आती हैं जो पाठ्यक्रम के अतिरिक्त ज्ञान, विज्ञान व मनोरंजन के लिए होती है । इन्हे छात्रों व अध्यापको को निश्चित अवधि तक उधार दिया जाता हें । इसके अतिरिक्त विद्यालयी पुस्तकालयों में विभिन्न प्रकार के समाचार-पत्र व पत्रिकाएँ आती है, जिन्हे छात्र व अध्यापक पुरूच्छालय में बैठ कर ही पढ़ते हैं ।
पुस्तकालय एक ज्ञान कोष:
पुस्तकालय ज्ञान का भण्डार व सच्चा शिक्षक है । यही पर विद्वज्जनों की ज्ञान पिपासा शान्त होती है । यद्यपि कई विद्वानो के अपने व्यक्तिगत पुस्तकालय भी होते हैं परन्तु ऐसा कोई भी व्यक्ति नही है जिसके पास सब प्रकार की पुस्तके हर समय विद्यमान हो ।
पुस्तकालयों में लगभग हर प्रकार की पुस्तकें विद्यमान रहती हैं जिन्हे वही बैठकर पढ़ा जा सकता है तथा नियमानुसार घर भी ले जाया जा सकता है । लेखकों व शोधार्थियों को अनेक पुस्तकालयों से सम्बन्ध रखना पड़ता है । अध्यापक, वकील, चिकित्सक, वैज्ञानिक, लेखक, पुस्तकालयों से समय-समय पर मदद लेते रहते हैं ।
पुस्तकालयों से मानव को हर क्षेत्र की जानकारी प्राप्त होती है । पुस्तकालयों में नाना प्रकार की पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं जिनके अध्ययन से पाठक अपनी ज्ञान वृद्धि करता है और दुनिया की नवीन घटनाओं व परिस्थितियों से परिचित होता है । इसलिए पुस्तकालय ज्ञान प्राप्ति का सशक्त माध्यम है ।
अध्ययन के लिए उपयुक्त बातावरण:
आजकल शहरी वातावरण कोलाहल पूर्ण बन चुका है । बस, रेल, कार आदि की ध्वनि से वातावरण हर समय मुखरित रहता है । इस परिस्थिति में अध्ययन करना असम्भव होता है । अध्ययन के लिए एकान्त तथा शान्त वातावरण की आवश्यकता है । अधिकतर घरों में भी पढ़ने का वातावरण उचित नहीं मिल पाता है । अध्ययन करने वाले विद्यार्थी एकान्त स्थलों में पढ़ने के लिए चले जाते हैं ।
ऐसा एकान्त व शान्त वातावरण पुस्तकालयों में ही मिलता है । निर्धन परिवार में छोटे-छोटे कमरे में कई लोग रहते है, छोटे बालक खेलते है । पढ़ने वाले छात्र को पढ़ने का अवसर नही मिल पाता है, इसलिए अध्ययनशील विद्यार्थी अपने निकटस्थ पुस्तकालयो में जाकर अध्ययन का आनन्द लेते हैं ।
Answer:
पुस्तकालय ज्ञान का भण्डार व सच्चा शिक्षक है । यही पर विद्वज्जनों की ज्ञान पिपासा शान्त होती है । यद्यपि कई विद्वानो के अपने व्यक्तिगत पुस्तकालय भी होते हैं परन्तु ऐसा कोई भी व्यक्ति नही है जिसके पास सब प्रकार की पुस्तके हर समय विद्यमान हो ।
पुस्तकालयों में लगभग हर प्रकार की पुस्तकें विद्यमान रहती हैं जिन्हे वही बैठकर पढ़ा जा सकता है तथा नियमानुसार घर भी ले जाया जा सकता है । लेखकों व शोधार्थियों को अनेक पुस्तकालयों से सम्बन्ध रखना पड़ता है । अध्यापक, वकील, चिकित्सक, वैज्ञानिक, लेखक, पुस्तकालयों से समय-समय पर मदद लेते रहते हैं ।
पुस्तकालयों से मानव को हर क्षेत्र की जानकारी प्राप्त होती है । पुस्तकालयों में नाना प्रकार की पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं जिनके अध्ययन से पाठक अपनी ज्ञान वृद्धि करता है और दुनिया की नवीन घटनाओं व परिस्थितियों से परिचित होता है । इसलिए पुस्तकालय ज्ञान प्राप्ति का सशक्त माध्यम है ।