Hindi, asked by mmjam2106, 1 month ago

पुस्तक मेला मे दो घंटे कॉम्पोझिशन इन हिंदी​

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Answered by Anonymous
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पुस्तकें हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। पुस्तकें पढ़कर ही हम सबको ज्ञान आता है। यदि पुस्तके ना हो तो बच्चे कैसे लिखना पढ़ना सीखेंगे। मुझे भी पुस्तकें पढ़ना शुरू से ही पसंद है। मैं अपने खाली समय में कहानी, कविताएं, निबंध, शायरी पढ़ना पसंद करता हूं। मैं आपको पुस्तक मेले के बारे में बताऊंगा जिसे देखने में कुछ महीने पहले गया था।

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन 5 जनवरी से 13 जनवरी तक किया गया था। मेरे दोस्त गगन ने मुझे इस पुस्तक मेले के बारे में बताया जिसे सुनकर मैं बहुत रोमांचित हो गया था। मैंने भी पुस्तक मेला दे

खने का मन बना लिया था। अगली सुबह ही हम दोनों दोस्त प्रगति मैदान के लिए निकल गए। हमने टिकट काउंटर से टिकट खरीदी और पुस्तक मेले में प्रवेश किया। मैंने पहली बार इतने बड़े-बड़े स्टॉल देखे थे।

पुस्तक मेले की विशेषताये

पुस्तक मेले में दूर-दूर से देशी विदेशी पुस्तक प्रेमी आए हुए थे। सभी अपनी मनपसंद किताब खोज रहे थे। मैंने पहली बार इतने अधिक प्रकाशकों के स्टॉल देखे थे। रूपा पब्लिकेशन, हार्पर कोलिंस, वेस्टलैंड, पेंग्विन, राजश्री प्रकाशन जैसे सभी बड़े प्रकाशक इस पुस्तक मेले में मौजूद थे, मेरे लिए ये किसी स्वर्ग से कम नहीं था। यहां पर हर तरह के साहित्य पर पुस्तकें उपलब्ध थी। बच्चों की कहानियां, कविताएं, रेखाचित्र, संस्मरण, नाटक, उपन्यास, आत्मकथा, बायोग्राफी जैसी सभी विधाओं पर पुस्तके उपलब्ध थी। मेरा तो दिल कर रहा था कि सभी किताबों को खरीद लूँ, पर ऐसा कहां हो सकता था।

इस पुस्तक मेले में स्त्री, पुरुष और बच्चे भी आए हुए थे। सभी अपने मनपसंद किताब खरीदना चाहते थे। मेले में काफी गहमागहमी थी। यहां पर हिंदी अंग्रेजी के साथ साथ दूसरी भाषाओं की किताबें भी उपलब्ध थी। सब तरफ काफी चहल-पहल देखने को मिल रही थी। देशी प्रकाशकों के अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक भी अपने स्टाल लगाए हुए थे और पुस्तकें बेच रहे थे। कुछ प्रकाशक चाय और कॉफी भी मुफ्त में बांट रहे थे। मैंने और मेरे दोस्त गगन ने कॉफी पी और पुस्तक मेले का आनंद उठाया।

मेरी प्रिय पुस्तकें

कक्षा 5 से ही मुझे पढ़ने का बहुत शौक था। मैं खाली समय में हिंदी की किताब पढ़ता था। उसमें ऐसी कोई कहानी नहीं होती थी जो मैंने नहीं पढ़ी होती थी। मुझे कहानियां पढ़ना शुरू से पसंद था। धीरे-धीरे मैं बड़ा होने लगा और पुस्तकों को लेकर मेरी रूचि बढ़ने लगी। मैंने रामायण, महाभारत जैसे महाकाव्य पढ़े, जिनको पढ़कर बड़ा आनंद आया और ज्ञान भी मिला।

इसके अलावा मैने अकबर बीरबल की कहानियां, अमर चित्र कथा, चंपक, प्रेमचंद्र की कहानियाँ, विक्रम-बेताल की कहानी पढ़ी। मैंने आरके नारायण द्वारा लिखी गई पुस्तक “मालगुडी डेज” को पढ़ा। इसे पढ़कर भी बहुत आनंद आया।

पुस्तकें जो मैंने खरीदी

कुछ पुस्तकें मैं कई दिनों से ढूढ़ रहा था। किस्मत से वो पुस्तकें इस पुस्तक मेले में उपलब्ध थी। इसलिए मैंने अपने प्रिय लेखक रस्किन बॉन्ड की The Room On the Roof, और The Blue Umbrella किताबें खरीदी। इसके अलावा मैंने जे. के. रोलिंग की Harry Potter and the Half-Blood Prince पुस्तक खरीदी। यह सभी पुस्तकें मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई हैं, पर मैंने सभी पुस्तकें हिंदी अनुवाद वाली खरीदी। पुस्तक मेले में मुझे कुछ छूट भी मिल गई।

पिताजी के लिए पुस्तक खरीदी

मेरे पिताजी को पुस्तक पढ़ने का बहुत शौक है। वे कई दिनों से महात्मा गांधी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” पढ़ना चाहते थे, पर यह पुस्तक उन्हें कहीं नहीं मिल रही थी। मैंने “सत्य के प्रयोग” पुस्तक को विश्व पुस्तक मेले से खरीद लिया और पिताजी को लाकर दी। वह पुस्तक देखकर पिताजी बहुत ही प्रसन्न थे।

दोस्तों इस तरह मैंने पुस्तक मेले को बहुत इंजॉय किया। वहां पर समय बिताकर काफी मजा आया। मेरे दोस्त गगन ने भी अपने लिए कुछ किताबें खरीदी।

दिल्ली के पुस्तक मेले का इतिहास

कोलकाता के पुस्तक मेले के बाद नई दिल्ली का पुस्तक मेला भारत के सबसे पुराने पुस्तक मेलों में से एक है। इसकी शुरुआत 18 मार्च 1972 को हुई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने इसका उद्घाटन किया था। वर्तमान में इसका आयोजन नेशनल बुक ट्रस्ट (National Book Trust (NBT) करता है

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