Hindi, asked by himanshurohilla2920, 1 year ago

पुस्तके मनुष्य की प्रगति के साथी हैं'। अपने विचार व्यक्त कीजिए।std 8

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Answered by babusinghrathore7
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पुस्तके मनुष्य की प्रगति की साथी है।  

जीवों में मनुष्य की अलग पहचान का मुख्य कारण इसकी भाषा है। भाषा की अभिव्यक्ति का माध्यम मौखिक के बाद लिखित बना। यह भाषा के साथ साथ मनुष्य की प्रगति का सूचक था।

         मनुष्य पाषाण काल से ही गुफाओं की दीवारों पर चित्र बनाकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करता रहा है। जैसे जैसे मानव का विकास हुआ उसने ताड़पत्रों पर लिखना सीखा। चीन में ईसा के 200 वर्ष पूर्व रेशम से एक प्रकार का कागज तैयार किया गया। अरबों मे माध्यम से यह तरीका यूरोप पहूंचा और जर्मनी में पहली बार 14वी सदी में अच्छी किस्म का कागज तैयार किया गया।

        जर्मन वैज्ञानिक जोहन्नेस गुटेनबर्ग ने 1454 में छापाखाना मशीन का आविष्कार कर प्रथम पुस्तक दि इण्डलजेन्स आफ निकोलस फिफथ को छापा।  

प्रसिद्ध विद्वान विल ड्यूरा ने लेखन कला के बाद मुद्रण कला को ही इतिहास का सबसे बड़ा आविष्कार माना। इस प्रकार से स्पष्ट है कि लेखन का विकास मनुष्य की प्रगति का सूचक है।

       पुस्तकें मनुष्य के ज्ञान के विकास और उसके संचय का सबसे बड़ा माध्यम है। आज के इलेक्ट्रानिक युग में भी पुस्तकों की अपनी उपयोगिता में कोई कमी नहीं आई है और पुस्तकों का महत्व अपनी जगह बरकरार है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पुस्तकें ही मानव की प्रगति की सूचक है और मानव को ज्ञानशील प्राणी बनायें रखने में सहायक है। यदि पुस्तकें नहीं होती तो शायद , न हमारा ज्ञान बढता और न ही हम अपने इतिहास को जान पातें।

Answered by shailajavyas
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पुस्तकें मानव सभ्यता के विकास का उत्कृष्ट साधन रही है | लोकमान्य तिलक ने पुस्तकों के महत्व को प्रतिपादित  करते हुए कहा था कि "मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि ये जहाँ रहेगी वहां स्वर्ग बन जाएगा|" वस्तुतः पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है क्योंकि रत्न तो बाहरी चमक दमक दर्शाते हैं जबकि पुस्तकें मनुष्य का अंतःकरण उज्जवल कर देती है । अच्छी पुस्तकें उस मित्र की भांति है जो सदैव अपने मित्र का कल्याण चाहता है इनके द्वारा होने वाले लाभ वही जानता है जिसने अच्छी पुस्तकों का अध्ययन किया हो । ये मनुष्य को पशुत्व से देवत्व की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। विद्वानों ने कहा था "मानव जाति ने जो कुछ कहा किया सोचा और पाया वह पुस्तकों के जादू भरे पृष्ठों में सुरक्षित है " यह सत्य भी है क्योंकि पुस्तकों का हमारे मन-मस्तिष्क पर स्थाई प्रभाव पड़ता है। अस्तु पुस्तकों ने मानव की तरक्की में बड़ा साथ निभाया हैं | वास्तव में वे मनुष्य की सच्ची साथी है।

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