पुस्तक मनुष्य का सबसे बडा मित्र होता हैं, स्वमत लिखिए
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पुस्तकें मानव सभ्यता के विकास का उत्कृष्ट साधन रही है | लोकमान्य तिलक ने पुस्तकों के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा था कि "मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि ये जहाँ रहेगी वहां स्वर्ग बन जाएगा|" वस्तुतः पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है क्योंकि रत्न तो बाहरी चमक दमक दर्शाते हैं जबकि पुस्तकें मनुष्य का अंतःकरण उज्जवल कर देती है । अच्छी पुस्तकें उस मित्र की भांति है जो सदैव अपने मित्र का कल्याण चाहता है इनके द्वारा होने वाले लाभ वही जानता है जिसने अच्छी पुस्तकों का अध्ययन किया हो । ये मनुष्य को पशुत्व से देवत्व की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। विद्वानों ने कहा था "मानव जाति ने जो कुछ कहा किया सोचा और पाया वह पुस्तकों के जादू भरे पृष्ठों में सुरक्षित है " यह सत्य भी है क्योंकि पुस्तकों का हमारे मन-मस्तिष्क पर स्थाई प्रभाव पड़ता है। अस्तु पुस्तकों ने मानव की तरक्की में बड़ा साथ निभाया हैं | वास्तव में वे मनुष्य की सच्ची साथी है।
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