पुस्तकें विश्व सभ्यता के भविष्य को कैसे आकार देती
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यह कोई संयोग नहीं है कि यहां वाराणसी में आज के व्याख्यान का विषय समय के माध्यम से भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक विरासत के लिए इसका योगदान है। वाराणसी (काशी) दुनिया का सबसे पुराना, शहरी जीवन का शहर है और हमारी सबसे बड़ी सांस्कृतिक और सभ्यतागत मूल्यों में से कुछ का प्रतिनिधित्व करता है। जब हम एक महान शहर में रहते हैं, जैसे आप वाराणसी जहां से आप आयें है या मैं दिल्ली में, जहां से मैं आई हूं मुझे लगता है जहां से हम आते हैं हम एक विरासत ले जाते हैं। लेकिन भारत के बाहर, विदेश सेवा में मेरे 38 साल के कैरियर में मैने महसूस किया है कि वाराणसी श्रद्वा और सम्मान प्रेरित करती है जैसाकि मार्क ट्वेन की पंक्तियों में वर्णित प्रतीक के रूप में:
"वाराणसी, इतिहास से अधिक पुराना है
परंपरा से अधिक पुराना,
यहां तक कि कथाओं से अधिक पुराना,
और दो बार में ये एक साथ देखने के रूप में ये और प्राचीन दिखता है ।‘’
वाराणसी भगवान शिव और पार्वती का घर है, गंगा जिसके किनारे के शहर ये स्थित है, भगवान शिव के अपने मूल बाल (बालों) में है। पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित यह खूबसूरत विश्वविद्यालय, एशिया में सबसे बड़े विश्वविद्यालय के प्रतीक के रूप में शिक्षा, ज्ञान और सीखने का केंद्र है। यह जैनियों के लिए भी एक तीर्थ स्थान है जबकि पार्श्वनाथ का जन्मस्थान, 23 तीर्थंकर माना जा रहा है जहां वैष्णव और शैव हमेशा इस महान शहर में सौहार्दपूर्वक रहे है । यहां कई मस्जिदें भी है। वाराणसी इसलिए एक धर्मनिरपेक्ष भावना है, हिंदू धर्म की एक परंपरा है और हिंदू विश्वास है क्योंकि अन्य संस्कृतियों और सभ्यताओं के सर्वश्रेष्ठ मूल्यों को आत्मसात करने की हमारी सहिष्णुता हमारी क्षमता है। मैं उस पर एक मिनट में आ जाउंगी।