पाश्चात्य विद्वानों की दृष्टि से नाटक के तत्त्व बताइए ।
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रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है।
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AREY BHAI TERE TOH Q'S BHI KHATAM HO JAATE HAIN
MAIN TOH BUS TIMEPASS KAR RAHI THI
BTW TU KAUNSA GAANA SUN RAHA HAI??
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