प
शप
11. मानव-जीवन का संचार-सूत्र है-आशा। इसके सहारे ही
बढ़ता है। मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा आशा ही देती है इसलि
होता है, वह कर्मण्य होता है। वह कठिन परिस्थितियों में भी प्रयत्
हरपल परिवर्तित संसार में कभी सुख, कभी दुख, कभी लाभ,
समस्त विरोधी प्रवृत्तियाँ क्रमशः आती-जाती रहती हैं। आशावादी
विपत्तियों से नहीं घबराता है एवं अपने मन को भी हार नहीं मानने दे
कटने के बाद फिर से पनपने लगता है। इन्हीं बातों पर विचार करके
प्रश्न 1 आशा को बलवती क्यों कहा जाता है?
प्रश्न 2 आशावादी व्यक्ति की क्या विशेषताएँ हैं?
प्रश्न 3 गद्यांश में कौन-सी विरोधी प्रवृत्तियों का जिक्र है
प्रश्न 4 'कर्मण्य' शब्द का विलोम शब्द क्या है?
प्रश्न 5 – उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
18 कॉरडोवा हिंदी व्याकरण-IX-X 'ए'
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Ans- 1. आशा बड़ी बलवान होती है।
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