Hindi, asked by praveensolat39, 3 months ago

पुष्प की अभिलाषा के अपठित पद्यांश​

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Answered by priyanshukumari3
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Answer:

पुष्प की अभिलाषा चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ, चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि! डाला जाऊँ। चाह नहीं, देवों के सिर पर, चढू, भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृ भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जाएँ वीर अनेक।

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