पुष्प की अभिलाषा कविता किस पुस्तक से ली गई है l
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पुष्प की अभिलाषा कविता माखन लाल चतुर्वेदी जी की रचना है जो की काव्य संग्रह 'हिम तरंगिनी' से ली गयी है।
यह कविता उन्होंने भारत की आज़ादी के समय रची थी।यह कविता उनकी सबसे बड़ी रचना मानी जाती है।
इस कविता के ज़रिए माखन लाल चतुर्वेदी जी उस समय भारत की स्वतन्त्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे भारतीय सैनिकों और पूरे देश का हौसला बढ़ाना चाहते थे।
इस कविता में चतुर्वेदी जी ने पुष्प की ज़ुबानी एक बहुत ही प्यारा और गहरा संदेश सब तक पहचाने का प्रयास किया है।
वह पुष्प की इच्छा व्यक्त करते हुए कहते हैं की उसकी इच्छा ना ही तो किसी माला में लग कर किसी महान हस्ती के गले में जाना है और ना ही किसी के आभूषणों में इस्तेमाल होकर किसी के रूप की शोभा बढ़ाना। वह तो केवल उस पथ पर पड़ा रहना चहता है जिस पथ पर से वीर जवान शहीद होकर जाए।
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