पुष्प की अवस्था देखकर कवियत्री का मानव जीवन के प्रति क्या निष्कर्ष है
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आश्रम धर्मं की बुधिमत्ता को लागू करना जीवन के हर दशक को गरिमा और बढ़ा हुआ उद्देश्य देता है , परन्तु इसके लिए कुछ नई सोच की आवश्यकता होती है
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द्वारा सतगुरु बोधिनाथा वेय्लान्स्वामी
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imageराजीव के लन्दन के सहपाठी एक कर्कश किशोरों का समूह है , उत्साह से भरा , लापरवाह और भविष्य की जिम्मेदारिओं से बेखबर। वे उसको एक अकड़े हुए साथी के रूप में देखते हैं - जो चतुर है, खुबसूरत है , चाहने योग्य है- लेकिन जो मज़ा लेने में चूक कर रहा है। जेरेमी उसे उपदेश देता है , "हमारे साथ मौज मस्ती क्यों नहीं करते ?" "आप एक बार ही जवान होते हैं !" राजीव एक अलग दुनियां में रहता है , उसने अपने माता पिता से सीखा है कि जीवन चार अवस्थाओं में मापा जाता है, और हम बार बार जनम लेते हैं- तो हम कई कई बार जवान होते हैं। वेह अपनी उर्जा को महत्त्वपूर्ण बातो के लिय बचाता है , ज्ञान को बढाने के लिए और चरित्र निर्माण के लिए , जिससे वो परिवार की अवस्था के लिए तैयारी कर सके, जिसमे वेह अपने बीस वर्षों वाली उम्र में प्रवेश करेगा। वेह बेकार की मौज मस्ती में दिलचस्पी नहीं रखता , और एक संस्कारित लड़की का हाथ जीतना चाहता है जिसके साथ वेह पूरा जीवन बाँट सके और बच्चों को भी इस संसार में लाये . राजीव अपने आने वाले बड़ी उम्र के जीवन के बारे में भी सोचता है , जब वेह अपने कर्तव्यों का निर्वाह करके अपने आत्मिक स्वाभाव की तरफ खीचेगा , सदा रहने वाले राजीव की तरफ , प्रभु प्राप्ति की चेष्टा करेगा , जब वेह अपने इस भूमि पर रहने वाले समय को पूरा करेगा। राजीव इस बात को मानता है के जीवन की हर अवस्था का एक स्वाभाविक उद्देश्य होता है, और हर एक पिछले से ज्यादा फायदेमंद होता है। अभी के लिए वेह विद्या अध्ययन को पूरे ध्यान से करने का चुनाव करता है, और बीच में थोडा खेल कूद करेगा।