पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूंगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभीन होगा मेरा अंत।
'तंद्रालस लालसा' क्या है?
poem dhvani
Answers
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूंगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभीन होगा मेरा अंत।
प्रश्न 'तंद्रालस लालसा' क्या है?
उत्तर : तंद्रालस लालसा' का अर्थ है , वसंत ऋतु हर फूल से नींद के आलस को भगाने की कोशिश करता है और सब के जीवन में अमृत भर देता है |
यह प्रश्न कविता "ध्वनि" से लिया गया है | यह कविता कवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" द्वारा लिखी गई है|
कवि कलियों को अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। वह उनको चुस्त, प्राणवान, आभावान व पुष्पित करना चाहता है।
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Dhwani कविता का सारांश शब्दो मे लिखिए
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूंगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभीन होगा मेरा अंत।
प्रश्न 'तंद्रालस लालसा' क्या है?
उत्तर : तंद्रालस लालसा' का अर्थ है , वसंत ऋतु हर फूल से नींद के आलस को भगाने की कोशिश करता है और सब के जीवन में अमृत भर देता है |
यह प्रश्न कविता "ध्वनि" से लिया गया है | यह कविता कवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" द्वारा लिखी गई है|
कवि कलियों को अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। वह उनको चुस्त, प्राणवान, आभावान व पुष्पित करना चाहता है।
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