पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लँगा मैं
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत
अभी न होगा मेरा अंत। व्याख्या किजीए
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,कवि के जीवन में वसंत उम्मीद बनकर आया है । जिससे वे सोये , अलसाये फूलों रूपी लोगो के आलस व उदासी बाहर निकाल लेने की बात कर रहे हैं। वे सभी लोगो को एक नया जीवन देना चाहते हैं । इसलिए उन्होंने कहा कि मै हर पुष्प से आलस और उदासी खींचकर , उनमे नया जीवन अमृत भर दूंगा ।
वे आगे कहते हैं कि मै सोये हुए फूलों यानि निराश लोगो को जीवन जीने की कला सिखा दूंगा। फिर उनका जीवन सुखमय हो जाएगा । कवि का मानना है कि अगर युवा पीढ़ी परिश्रम करेगी तो उसे मनचाहे लक्षय कि पा्रप्ति होगी और उसके आनंद का अंत कभी नहीं होगा । इस प्रकार कवि कहते हैं कि युवा पीढ़ी को सही राह नही दिखा देंगे तब तक उनका अंत होना असम्भव है।
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