पुष्प -पुष्प से तंद्रालस लालसा खीँच लूँगा मैं ,अपने जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैंहै मेरे वे जहाँ अनंत –अभी ना होगा मेरा अंत कविता के कवि का नाम है
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सूर्यकांत कांत त्रिपाठी निराला, ध्वनि
Explanation:Pleae mark me brainiest
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