पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं संदर्भ स्पष्टीकरण
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पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं। अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं। वसंत ऋतु हर फूल से नींद की आलस को खींचने की कोशिश करता और हर किसी में नये जीवन का अमृत भर देता है। ... इसलिए वसंत बार-बार ये कह रहा है कि अभी उसका अंत नहीं होगा।
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