पुष्पी पादपों में पर परागण की विभिन्न युक्तियों तथा माध्यमों का विस्तारपर्वक वर्णन कीजिए
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परागकोष तथा वर्तिकाग्र एक ही समय में परिपक्व होते हैं। इस कारण स्व-परागण आसानी से होता है। जब एक पुष्प का परागकण उसी जाति के दूसरे पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचता है, तो उसे पर-परागण कहते हैं। ... पर-परागण के लिए किसी माध्यम जैसे -वायु, कीट, जल या जन्तु की आवश्यकता होती है।
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