Biology, asked by maahira17, 8 months ago

पुष्पों द्वारा स्व-परागण रोकने के लिए विकसित की गई दो कार्यनीति का विवरण दें।

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Answered by nikitasingh79
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पुष्पों द्वारा स्व-परागण रोकने के लिए विकसित की गई दो कार्यनीति का विवरण निम्न प्रकार से है -  

(i) एकलिंगता (unisexuality or Dicliny) :  

एकलिंगी पुष्पों में नर तथा मादा जननांग अलग-अलग पुष्पों में पाए जाते हैं।  जब नर तथा मादा पुष्प अलग-अलग पौधों पर लगते हैं तो पौधे द्विक्षयक या एकलिंगाश्रयी (dioecious ( कहलाते हैं । जैसे पपीता , शहतूत , केवड़ा आदि । इनमें स्वपरागण नहीं होता।  

(ii) स्वबन्ध्यता (self sterility or incompatibility) :  

इसमें एक पुष्प के परागकण जब उसी पुष्प या उसी पौधे के अन्य पुष्पों पर पहुंचते हैं तो परागकणों का अंकुरण नहीं होता। इसे स्वबन्ध्यता कहते हैं जैसे -  तंबाकू, आलू , झूमकलता आदि में।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

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Answered by Anonymous
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Answer:

स्व-बन्ध्यता (Self-fertility) – इस प्रकार की कार्यनीति में यदि किसी पुष्प के परागण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं तो वे उसे निषेचित नहीं कर पाते हैं। उदाहरण-माल्वा के एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर अंकुरित नहीं होते हैं।

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