Hindi, asked by rehan1537, 2 months ago

पौष्टिक आहार के बारे में बताते हुए मित्र को पत्र लिखें ​

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आपका पूरा पता

दिनांक 14/05/2019

प्रिय मित्र पंकज,

सप्रेम नमस्ते

मुझे तुम्हारा पत्र मिला यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई कि तुम वहाँ कुशल मंगल हो और अपनी पढाई पर पूरा ध्यान दे रहे हो. तुम्हें यह जानकर ख़ुशी होगी की यहाँ भी सभी स्वस्थ है और हम सभी तुम्हें बहुत याद करते है.

मेरे दोस्त तुम यहाँ से दूर तो चले गये हो लेकिन तुम को अपनी सेहत का ध्यान पूरा रखना है क्योंकि सेहत बहुत ज़रुरी है यदि तुम अपनी सेहत पर ध्यान नही दोगे तो तुम्हारा स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा इसलिए मैं तुम्हें कुछ ऐसी चीज़े बता रहा हूँ जो तुम्हारी सेहत के लिए ज़रुरी है. सबसे पहले तुम्हें अपने आस पास साफ़ सफाई का ध्यान देना चाहिए क्योकि यदि बीमारी से बचना है तो साफ़ सफाई होना ज़रुरी है. फिर बात आती है खान पान की. यदि तुम्हे अच्छा स्वास्थ्य चाहिए तो खान पान का ध्यान अवश्य रखे. इसमें संतुलित आहार ले और प्रोटीन, विटामिन से भर पूर्ण चीजों का सेवन करे और जितना हो सके बाहर के भोजन से बचे. साफ़ पानी पिए और नियमित कसरत जरूरत करे. व्यायाम शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी चुस्त दुरुस्त रखता है. इसके अलावा भले ही आपकी दिनचर्या कितनी भी व्यस्त हो अपने आप को खुश रखना ज्यादा ज़रुरी है. यदि अपनी सेहत अच्छी बनाना है तो तुम्हें इन कुछ छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान ज़रुर देना होगा.

मैं आशा करता हूँ कि तुम इन चीजों का ध्यान रखोगे. अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दोगे और अपने परिवार का नाम ज़रुर रोशन करोगे. मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ है.

तुम्हारा मित्र

राकेश चौधरी

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Answered by Anonymous
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सदा प्रसन्न रहो। कल माता जी का पत्र आया था। उन्होंने तुम्हारे स्वास्थ्य के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए लिखा था कि तुम बहुत जल्दी-जल्दी बीमार हो जाते हो। अकसर तुम्हें पेट में दर्द या दस्त और उलटी शुरू हो जाती है। तबीयत ठीक न रहने के कारण तुम्हें विद्यालय से भी छुट्टी लेनी पड़ती है। इसका दुष्प्रभाव तुम्हारी पढ़ाई पर भी दिखाई देने लगा है। पिछली कक्षा परीक्षा में तुम गणित और विज्ञान में उत्तीर्ण अंक भी प्राप्त नहीं कर पाए। 

तुमने सुना होगा-'जान है तो जहान है'। पेट की सभी बीमारियों की जड़ त्रुटिपूर्ण आहार और शारीरिक श्रम का अभाव होता है। माँ ने यह भी लिखा था कि मना करने पर भी तुम अपने जेबखर्च के पैसों से पीज्जा, बर्गर मंगा कर खा लेते हो। घर की दाल-रोटी-सब्जी तुम खाना पसंद नहीं करते। फलों के बजाए 'चिप्स' और 'कुरकुरे' खाते हो। बाहर खेलने नहीं जाते हो। सारा दिन या तो टी०वी० देखते रहते हो या वीडियो-गेम खेलते रहते हो। 

प्रिय चंद्रू! सोचकर देखो; यदि स्वास्थ्य का यही हाल रहा, तब न तो तुम शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ पाओगे और न ही कोई अन्य काम-धंधा कर पाओगे। बड़े भैया इंजीनियरिंग और मैं डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हूँ। क्या तुम अपने भविष्य के वि में कुछ नहीं सोचते?

सबसे पहला काम तो तुम यह करो कि बाजार का अंट-शंट खाना छोड़कर घर का बना पौष्टिक भोजन किया करो। दूध और फल नियमित रूप से लो। दूध न चाहो तो दही खा लिया करो। नियमित व्यायाम किया करो। जब मैं घर पर थी तो तुम नित्य प्रात: मेरे साथ सूर्य-नमस्कार करते थे। शाम को हम बगीचे में घूमने जाते थे। यह क्रम फिर से शुरू कर दो। इन सबसे तुम्हारा संचार बढ़ेगा, स्फूर्ति आएगी और मांसपेशियाँ भी मजबूत होंगी।

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