'पाँती बँधे बगुलों' का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
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इस कविता में कवि ने कवि-कर्म को कृषि के कार्य के समान बताया है। जिस तरह कृषक खेत में बीज बोता है, फिर वह बीज अंकुरित, पल्लवित होकर पौधा बनता है तथा फिर वह परिपक्व होकर जनता का पेट भरता है। उसी तरह भावनात्मक आँधी के कारण किसी क्षण एक रचना, विचार तथा अभिव्यक्ति का बीज बोया जाता है।
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