पेंट छोटे बच्चों के लिए पेंट छोटे बच्चों के लिए स्वास्थ्य समस्या बन सकता है
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नेशनल डेस्क: घरों की साजो-सजावट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अधिकांश कंपनियों के पेंट बच्चों के लिए जानलेवा है। एक स्टडी के मुताबिक ज्यादातर पेंट में लेड की निर्धारित मात्रा तय मात्रा से बहुत ज्यादा पाई गई है। यह बच्चों के दिमाग के विकास और नर्वस सिस्टम को डैमेज तक कर सकता है। इतना ही नहीं पेंट के लंबे समय तक संपर्क में रहने से उससे होने वाले असर के कारण बच्चों का दिमाग और सेंट्रल नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है जिसका इलाज संभव नहीं है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली में 73 फीसदी से ज्यादा पेंट बच्चों की जान के लिए खतरा है।
इस बात का खुलासा गैर सरकारी संस्था टॉक्सिक लिंक्स द्वारा इंटरनेशनल पॉप्स एलिमिनेशन नेटवर्क (आईपीईएन) के साथ मिलकर की गई एक स्टडी से हुआ है। बताया जाता है कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से कुल 15 पेंट के सैंपल लिए गए थे जिसमें से 13 अलग-अलग कंपनियों के ब्रांडेड पेंट में लेड की मात्रा बहुत ज्यादा पाई गई। इतना ही नहीं करीब 11 पेंट के डिब्बों पर लेड की मात्रा की जानकारी तक मौजूद नहीं थी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पेंट के लिए तय किए गए मानकों के मुताबिक पेंट में लेड की अधिकतम मात्रा 90 पीपीएम तक होनी चाहिए। जिसे नवंबर से लागू कर दिया जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि छह पेंट के सैंपल में लेड की अधिकतम मात्रा 10000 पीपीएम से ज्यादा मिली है और तो और पीले रंग का पेंट सबसे ज्यादा खतरनाक पाया गया है। इसमें लेड की अधिकतम मात्रा 74000 पीपीएम से भी ज्यादा मिली है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और बच्चों की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।
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