Hindi, asked by jasleenkaur34, 13 days ago

पिताजी के साथ गुज़री हुई एक यादगार घटना पर निबंध​

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Answered by tannuduklan46
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Explanation:

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अग्निकांड का स्थान व समय : जून का महिना था भीषण गर्मी से बचने के लिए हमारे गाँव के अधिकतर लोग दोपहरी में पेड़ों की छाँव में विश्राम कर रहे थे. हमारे गाँव में लगभग सभी के घर में छप्पर बने हुए हैं.

गाँव के बीच में रामदीन किसान का घर था. दोपहरी में अचानक ही उसके छप्पर में आग लग गई. बात ही बात में आग की लपटों ने भयंकर रूप धारण कर लिया.

अग्निकांड का दृश्य – आग की उठती लपटों को देखकर चारो ओर हो हल्ला होने लगा. सभी आग को बुझाने के लिए दौड़ पड़े. कोई कंधे पर घडा लेकर, कोई हाथ में बाल्टी लेकर आग बुझाने का जी जान से प्रयास करने लगे.

आग भयकर रूप धारण कर चुकी थी. लोग ज्यो ज्यो पानी डालते, त्यों त्यों आग शांत होने की बजे और बढ़ रही थी. चारो ओर से पानी लाओ पानी लाओ की आवाज आ रही थी.

उधर रामदीन किसान की पत्नी छाती पीटती रो रही थी. लगभग एक घंटे के अथक परिश्रम के बाद आग पर काबू पाया जा सका लेकिन तब तक उसका छप्पर तथा उसमें रखा सारा सामान स्वाहा हो चूका था.

दुर्घटना से हानि– उस अग्निकांड को मैंने अपनी आँखों से देखा था और आग बुझाने वालों का भी मैंने जी जान से सहयोग किया था. लेकिन बेचारे रामदीन का घर का सारा सामान जलकर राख हो गया था.

उसके साथ ही उसकी दो साल की बच्ची भी जो छप्पर के नीचे सो रही थी, जलकर मर गई. इससे उसके परिजनों का करुण विलाप सभी के ह्रदयों को शोक में डूबा रहा था. सभी दुखी और बैचेन थे.

उपसंहार- गाँव के सभी लोगों ने रामदीन के परिवार वालों को होनी को कोई नही टाल सकता कहकर और समझा बुझाकर शांत किया. साथ ही सबने मिलकर उसकी सहायता की.

छप्पर के जल जाने और बच्ची के मर जाने का अफ़सोस तो सभी को रहा, जो आज भी मुझे उस भयंकर अग्निकांड का स्मरण हो आता हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

Essay on Unforgettable Incident in My Life in Hindi

जीवन और घटनाएं– जीवन एक सरिता है जिसमें उतार चढ़ाव आते रहते हैं. हमारे जीवन काल में अनेकानेक घटनाएं घटित होती रहती हैं. कई घटनाएं ऐसी होती हैं जो क्षणिक प्रभाव डालकर सदैव के लिए विस्मृत हो जाती हैं.

कई घटनाएं ऐसी होती हैं. जिनकी स्मृति मानस पटल पर अपना प्रभाव सदैव बनाए रखती है और भूल जाने का प्रयत्न करने पर भी बार बार हमारे मानस में पुनरावृत्ति करती रहती हैं.

मानव प्रकृति के अनुसार दुर्घटनाएं अधिक याद रहती हैं. यहाँ मैं एक ऐसी ही आँखों देखी घटना का वर्णन कर रहा हूँ जिसकों मैं कभी भूल न पाउगा.

यात्रा का प्रयोजन एवं कार्यक्रम–दीपावली के तुरंत बाद एक शैक्षणिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने हम सभी साथी अजमेर गये थे. सात दिन तक हमारा शैक्षणिक कार्यक्रम चलता रहा. हंसी मजाक के वातावरण में हमने हमारा समय बड़े ही आनन्द के साथ व्यतीत किया.

अंतिम दिन कार्तिक सुदी एकादशी का था. एक पंथ दो काज की कहावत चरितार्थ करने के लिए मैंने अपने साथियो के समक्ष पुष्कर स्नान का प्रस्ताव रखा. हम सब साथी बस में बैठकर पुष्कर के लिए रवाना हुए.

रास्ते का प्राकृतिक दृश्य देखकर मन मयूर नाच उठा. पहाड़ों को काटकर बनाई गई सड़क के टेड़े मेढे रास्ते में भी हमारी बस तीव्र गति से चल रही थी. आखिरकार हम लोग पुष्कर पहुच गये.

यात्रा के मनोरम प्रसंग– पुष्कर में उस दिन भारी भीड़ थी, ग्रामीण औरतों की रंग बिरंगी पोशाकें ऐसी प्रतीत हो रही थीं मानों फैंसी ड्रेसेज की प्रतिस्पर्धा हो रही हो.

भीड़ के मध्य जाना कठिन कार्य था, फिर भी भीड़ को चीरते हुए हम सरोवर पर पहुचे. वहां पर स्नानार्थियों की भीड़ थी.

हमने कम भीड़ वाले घाट पर स्नान करने का निश्चय किया. इसी घाट पर कुछ ग्रामीण परिवार भी स्नान कर रहे थे. मैंने देखा कि एक महिला ने स्वयं स्नान किया, फिर वह लगभग आठ वर्ष के बालक को नहलाने लगी.

बालक की कुचपलता तथा माता के हाथों की शिथिलता से बच्चा हाथ से छुट गया और गहरे पानी की ओर बहकर डूबने लगा. वह देखकर माता के रूदन क्रन्दन ने मंगल में अमंगल कर दिया.

घटित घटना एक अविस्मरणीय दृश्य–बालक के डूबने का समाचार वहां चारों ओर फ़ैल गया. सारे दर्शनार्थी और सभी स्नानार्थी सरोवर के चारों ओर खड़े होकर पानी में नजर गड़ाएं हुए थे.

कई गोताखोरों ने भी पानी में बच्चे की तलाश की. दमकल विभाग की मोटर भी आई लेकिन सारे प्रयत्न असफल रहे.

बालक के माता पिता बुरी तरह चीख चिल्ला रहे थे. उनके रोने चीखने को देख व सुनकर अन्य व्यक्तियों की आँखों से भी अश्रुधारा प्रभावित होने लगी. इतने में ही सरोवर के मध्य में कुछ काली वस्तु दिखाई दी.

मल्लाह लोग और तैराक उस वस्तु की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे थे. कि थोड़ी दूर पर बच्चे का हाथ दिखाई दिया और दूसरे क्षण देखा गया कि एक मगर बालक को मुहं में दबाया हुए ऊपर उठा और एकदम नीचे चला गया.

उस दृश्य को देखकर माता बेहोश हो गई. उस घटना को देखकर हम सभी अत्यधिक व्यतीत हो गये और मुहं लटकाए वापिस आ गये.

उपसंहार– मैंने जीवन में अनेक घटनाएं देखी, परन्तु ऐसी करुण घटना केवल एक ही बार देखी, बार बार भुलाने का प्रयत्न करने पर भी वह दृश्य मेरी आँखों के सामने आ जाता है और शोक विहल हो जाता हूँ. मेरे जीवन के लिए तो यह चिरस्मरणीय घटना है, इसे मैं कभी भी नहीं भुला सकूंगा

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