पिताजी और चौकीदार के बीच होने वाला
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अनुशासन के महत्व पर पिता और पुत्र के बीच संवाद लेखन
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अनुशासन के महत्व पर पिता और पुत्र के बीच संवाद लेखन (Samvad Lekhan Anushaasan Ke Mahatv Par Pita aur Putr Ke Beech) | Dialogue Writing In Hindi Topics
संवाद लेखन की परिभाषा
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में परस्पर व्यवहार करने के लिए वह अधिकतर बातचीत का सहारा लेता है। यह बातचीत दो-तीन या अधिक व्यक्तियों के बीच हो सकती है। बातचीत को हम संवाद भी कहते हैं। यह संवाद (बातचीत) आमने-सामने भी हो सकता है और फोन के माध्यम से भी।
दो, तीन या अधिक व्यक्तियों की परस्पर बातचीत को ज्यों का त्यों लिखना संवाद-लेखन कहलाता है। संवाद व्यक्तियों के नाम लिखकर उनके द्वारा बोली गई बात को (ज्यों-का-त्यों) उसी रूप में लिख दिया जाता है।
संवाद-लेखन अपने आप में एक साहित्यिक विधा का रूप लेता जा रहा है। चलचित्रों, नाटकों तथा एकल अभिनय में भी संवाद महत्त्वपूर्ण होते हैं। किसी भी प्रसंग, घटना या कहानी के लिए संवाद लिखते समय निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
संवाद लेखन की बिंदुओं
संवाद में प्रभावशाली, सरल और रोचक भाषा का प्रयोग होना चाहिए।
विचारों को तर्कसम्मत रूप से प्रस्तुत करना चाहिए।
देश काल और व्यक्ति के अनुरूप संवाद की शब्दावली एवं भाषा का चयन करना चाहिए।
संवाद में स्वाभाविक प्रवाह बना रहना चाहिए।
संवाद छोटे व रोचक होने चाहिए।
कहानी या घटना को आगे ले जाने वाले होने चाहिए।
उचित मुहावरों व शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।
चरित्र को बखूबी प्रस्तुत करने वाले होने चाहिए। आइए संवाद-लेखन के कुछ उदाहरण देखें
संवाद लेखन के उदाहरण
Samvad Lekhan in Hindi Dialogue Between Father and Son on the Importance of Discipline
राहुल: देखो, राघव! तुमने बिना पूछे आदित्य के बस्ते में से पुस्तक ले ली। यह बहुत बुरी बात है।
राघव: इसमें क्या हो गया?
राहुल: यह बात गलत है-किसी की कोई वस्तु उससे पूछे बिना लेना ठीक नहीं। इसको अनुशासनहीनता कहते हैं।
निखिल: पापा अनुशासनहीनता किसे कहते हैं?
राहल: किसी नियंत्रण, आज्ञा और बंधन में रहना ही अनुशासन है। अनुशासन में रहने के लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता है।
ऐश्वर्या: अनुशासन में रहने के बहुत लाभ होंगे?
राहुल: हाँ बेटी। अनुशासन हमारे जीवन को सार्थक और प्रगतिशील बनाता है। विद्यार्थी को संयम और नियम में रहना अनुशासन ही सिखाता है। जीवन को सफल बनाने में यह बहुत सहायक है।
राघव: क्या अनुशासन जीवन में चरित्र को उज्ज्वल बनाने में सहायक होता है?
राहुल: बिल्कुल, बेटे! चरित्र-निर्माण की नींव अनुशासन तो डालता ही है। मानसिक विकास भी इसी के द्वारा विद्यार्थी में ढलता है।
pita ji - kal tum kyun nhi aaye the
chaukidar-sahab ji kal mere ghar main meri beti ki shaadi thi
pita ji -aacha
chaukidar-sahab ji main kal se kaam pr aa jata hu
pita ji - theek hai