पिताजी और पुत्र के बीच व्यायाम के महत्व को लेकर संवाद
8-10 lines for 2 characters
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राहुल: देखो, राघव! तुमने बिना पूछे आदित्य के बस्ते में से पुस्तक ले ली। यह बहुत बुरी बात है।
राघव: इसमें क्या हो गया?
राहुल: यह बात गलत है-किसी की कोई वस्तु उससे पूछे बिना लेना ठीक नहीं। इसको अनुशासनहीनता कहते हैं।
निखिल: पापा अनुशासनहीनता किसे कहते हैं?
राहल: किसी नियंत्रण, आज्ञा और बंधन में रहना ही अनुशासन है। अनुशासन में रहने के लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता है।
ऐश्वर्या: अनुशासन में रहने के बहुत लाभ होंगे?
राहुल: हाँ बेटी। अनुशासन हमारे जीवन को सार्थक और प्रगतिशील बनाता है। विद्यार्थी को संयम और नियम में रहना अनुशासन ही सिखाता है। जीवन को सफल बनाने में यह बहुत सहायक है।
राघव: क्या अनुशासन जीवन में चरित्र को उज्ज्वल बनाने में सहायक होता है?
राहुल: बिल्कुल, बेटे! चरित्र-निर्माण की नींव अनुशासन तो डालता ही है। मानसिक विकास भी इसी के द्वारा विद्यार्थी में ढलता है।
Answer:
1. पिता और पुत्र के बीच संवाद
पिता – तुम अभी तक सो रहे हो
ओजस्व – कल रात देरी से सोया था इसलिए
पिता – पिछले कुछ दिनों से मेरे साथ व्यायाम करने भी नहीं आते हो।
ओजस्व - कल से पक्का आऊंगा
पिता – बेटे, ऐसे वायदे तो रोज करते हो।
ओजस्व – पर इस बार मैं पक्का वायदा करता हूँ कि आपको कल आकर दिखलाऊँगा।
पिता – और अगर नहीं आए तो ……….
ओजस्व – फिर आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगा।
पिता – ठीक है। तुम्हें यह आखिरी अवसर देता हूँ।
Explanation:
संवाद लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1.संवाद संक्षिप्त, सरल एवं सारगर्भिक होना चाहिए।
.संवादों की भाषा सरल, पात्रानुकूल होनी चाहिए।
.संवादों में क्रमबद्धता का ध्यान रखना चाहिए अर्थात् एक पात्र का संवाद दूसरे संवाद से परस्पर जुड़ा होना चाहिए।
4.पात्रों के मनोभावों एवं मुद्राओं को कोष्ठकों में लिखना चाहिए।
5.संवादों में भावानुसार विराम-चिह्नों का प्रयोग करना चाहिए।