Hindi, asked by mandavinisha5, 3 months ago

पेट की आग से कवि का क्या तात्पर्य

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Answered by shishir303
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पेट की आग से कवि का क्या तात्पर्य है?

➲ पेट की आग से कवि का तात्पर्य भूख की व्याकुलता से है। कवि के अनुसार पेट की आग समुद्र की आग से भी भयानक और बड़ी होती है। जब पेट में आग लगती है यानी भूख की व्याकुलता बढ़ जाती है तो उसकी अग्नि को शांत करना अत्यंत आवश्यक होता है। पेट की आग का शमन केवल ईश्वर कृपा ही कर सकती है। ईश्वर कृपा और संतोष धारण करने की भावना से पेट की आग शांत हो सकती है।

कवि तुलसीदास जी के अनुसार पेट की आग का शमन ईश्वर की भक्ति रूपी भावना ही कर सकते हैं। पेट की आग का सम्मान करना कोई कठिन कार्य नहीं है। ईश्वर की भक्ति रूपी शीतल जल से पेट की आग को पल भर में बुझा सकते हैं, परंतु यह बात भक्तों की भावना पर निर्भर करती है। यदि भक्त का ईश्वर में विश्वास है तो पेट की आग को बुझाना अत्यंत सरल है, लेकिन यदि भक्त का ईश्वर में विश्वास नहीं है, तो पेट की आग बहुत भयंकर हो जाती है और उसकी व्याकुलता बढ़ती जाती है फिर उसका शमन करना संभव नही होता।

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Answered by avantikamahale37
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पेट की आग से कवि का क्या तात्पर्य

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