पिता के बाद कविता के अनुसार बेटा कैसी हो जाती है
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जरूरत है उन्हें ढूँढने वाले
की। जीवनमार्ग पर चलते हुए जब किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति आती है तो
संस्कृत सूक्तियाँ हमें मार्गबोध कराती हैं। नीतिशतक, विदुरनीति, चाणक्यनीतिदर्पण आदि
ग्रन्थ ऐसे ही श्लोकों के अमर भण्डागार हैं। प्रशस्त होता है संभाल मानव में गुणों की प्रतिष्ठा करता है आत्मानं आत्मविश्वास आत्मबल आत्मरक्षा साहस व संतोष धैर्य आदि गुण संभाल के संबोधन भाई है संभाल व्यक्ति के जीवन में संबोधन सफलता प्राप्ति कर का महामंत्र है l
मूल बातें
सामान्य संकेत
खुला हुआ
बन्द है
प्रवेश
बाहर जाएं
धक्का दें
खींचें
शौचालय
पुरुषों
महिलाओं
मना किया हुआ
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