Art, asked by vikikatkar3, 2 days ago

पेट का माया पंडित यांची कविता कोणती आहे​

Answers

Answered by aniketdombale6888
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Answer:

भूख

Explanation:

आलम में वो जीते हैं

जो बचपन बेचकर,कमाते हैं,

बच्चे वही भूखे होते हैं ।

जो किस्मत के मारे होते हैं

कमजोर नहीं होते,बेचारे होते हैं।

निकल आते हैं सड़कों पर

बाजारों में, कभी चौराहों पर

पेट के वास्ते दर-दर भटकते हैं

एक-एक निवाले की कीमत समझते हैं

भूख के बदले, भूख खाकर,

सोते नहीं, पर सोते हैं,

बच्चे जो भूखे होते हैं ।

किसान की मजबूरी है परिवार पालना

झूठा वरन् लगता है अधिकार पालना

धूल, कंकड़, मिट्टी, रोटी सब है मिट्टी

मिलती नही है सही किमत फिरभी फसल की

तभी तो बेचारे, फाँसी लगाकर,

फंदों में झूले होते हैं, और,

नेता, सरकारें रोज, मौज में,

नींद चैन की खूब सोते हैं

साहब! इनके पेट भरे होते हैं,

हाँ! इनके पेट भरे होते हैं ।

कोई उम्रभर इत्र की खुशबू में जीता है

कोई उम्रभर गरीबी की बदबू में जीता है

अमीर लोग जमीं पर नही होते,

कारों,बंगलों,हवाई जहाजों में होते हैं

और गरीब सिर्फ जमीं पर होता है

यहीं घिसता है, यहीं पर मरता है

जिंदगी भर जो गम ढोते हैं

जिंदगी नहीं जीते, रोते हैं

प्यार-व्यार वही करते हैं,

जिनके पेट भरे होते हैं

जो सपनों में खोये होते हैं,

लोग वही भूखे होते हैं ।

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