पिता के मन में छिपे डर का भाव क्या था ?
Answers
Answered by
0
Answer:
ki vah mahmari ke chapet me na a jaye
Answered by
0
पिता के मन में छिपे डर का भाव यह था कि उनकी बेटी महामारी की चपेट में न आ जाए।
- सुखिया के पिता को डर था कि उनकी बेटी को भी महामारी का कोप न लग जाए।
- एक दिन सुबह उठकर उन्होंने देखा कि बेटी का बदन बुखार से तप रहा था, वहीं हुआ जिसका उन्हें डर था।
- मृत्यु छैया पर लेटी बेटी ने इच्छा रखी कि उसे माता के मंदिर का फूल चाहिए।
- सुखिया के पिता नीच जाति के माने जाते थे व इन्हे मंदिर में जाने की मनाही थी।
- वे बेटी की इच्छा पूर्ति के लिए मंदिर गए जिसके लिए उन्हें सात दिन के करावास की सजा हुई।
Similar questions